पहाड़ी भाषा: कश्मीर से कन्याकुमारी तक रहने वाले सभी नागरिकों को न्याय मिले: केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा

कश्मीर से कन्याकुमारी तक रहने वाले सभी नागरिकों को न्याय मिले:  केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा
  • जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी जनजाति फोरम
  • समस्या से भागने के बजाय समाधान पर फोकस
  • जनजाति के साथ इंसाफ के लिए सरकार प्रतिबद्ध

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी जनजाति फोरम के सदस्यों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से मुलाकात की और उनका अभिनंदन किया। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, "देश के स्पष्ट भावना की अभिव्यक्ति है कि कशमीर से कन्याकुमारी तक रहने वाले सभी नागरिकों को न्याय मिले। ना केवल जम्मू-कश्मीर के विधेयक के माध्यम से लोकल लोगों में, पिछड़े वर्ग, SC-ST में बल्कि ओडिशा में भी कई सुधार किए गए। सरकार प्रतिबद्ध है कि हमें किसी भी समस्या से भागना नहीं चाहिए बल्कि उसका समाधान करना चाहिए।

जम्मू-कश्मीर पहाड़ी जनजाति एसटी फोरम के सदस्यों ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। केंद्र सकार अपनी प्रतिबद्धताओं के लिए जानी जाती है। पहाड़ी जनजाति के साथ इंसाफ के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। मंच के सदस्यों ने अपनी जनजाति की समृद्ध गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला, उन्होंने आशा व्यक्त की कि वर्तमान सरकार पहाड़ी आदिवासियों की दुर्दशा को समझेगी।

इससे पहले मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी जातीय समूह को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विधेयक लोकसभा से पारित हो गया। राजोरी, पुंछ के साथ ही कश्मीर संभाग के उड़ी, केरन व करनाह में इस समूह के लोग रहते हैं। जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने लोकसभा में पेश किया था। इस विधेयक का उद्देश्य पहाड़ी जातीय समूह, पाडरी जनजाति, कोली और गद्दा ब्राह्मण को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना है।

पहाड़ी भाषी के लोग लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। जम्मू और कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों की सूची में इन समुदायों को शामिल करने से गुज्जर और बक्करवाल एसटी समुदायों को मिल रहे आरक्षण के वर्तमान स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उनको जैसा आरक्षण मिल रहा था, उनका आरक्षण वैसा ही रहेगा। आरक्षण के मामले में एसटी सूची में पहले और नए सूचीबद्ध समुदाय एक दूसरे को प्रभावित नहीं करेंगे।संसद द्वारा विधेयक पास होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सरकार आरक्षण पर आवश्यक अधिसूचना जारी करेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि अनुसूचित जनजातियों की मौजूदा सूची में शामिल लोगों को समान स्तर का आरक्षण मिलता रहे। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इसे ऐतिहासिक बताया।

Created On :   10 Feb 2024 10:27 AM IST

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