अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए रुपए का प्रयोग फायदेमंद, लेकिन निर्यात बढ़ाने की जरूरत : स्वदेशी जागरण मंच
हालांकि, इसके साथ ही निर्यात को लेकर थोड़ी शंका जाहिर करते हुए मंच ने यह भी कहा है कि भारत का निर्यात प्रदर्शन उत्कृष्ट नहीं रहा है, फिर भी कृषि उत्पादों, रक्षा वस्तुओं और कई अन्य वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि प्रभावी रही है। लेकिन 2 हजार अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात और सामान और सेवाओं के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कुछ असाधारण करने की जरूरत है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच - एसजेएम की पुणे में 3 और 4 जून को हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद मंच की तरफ से बयान जारी करते हुए, स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ अश्वनी महाजन ने बताया कि एसजेएम की राष्ट्रीय परिषद रुपये में व्यापार निपटान को मंजूरी देने के इस ऐतिहासिक कदम के लिए सरकार को बधाई देती है और सरकार से इस उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए अधिक देशों को व्यापार मुद्रा के रूप में रुपये का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने और इसके लिए अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करने का अनुरोध करती है।
उन्होंने कहा कि व्यापार के लिए रुपये का उपयोग करना आसान बनाए जाने के प्रयास किए जा सकते हैं। इसमें रुपये के बाजार में अधिक तरलता प्रदान करना और व्यवसायों के लिए रुपया खाते खोलना आसान बनाना शामिल हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में रुपये के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विदेशी निवेशकों को भारतीय रुपए-मूल्यवर्गित संपत्तियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
इसके अलावा भारत रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को और व्यवस्थित करने के लिए एक मजबूत रुपए- बांड बाजार का विकास किया जा सकता है। मंच ने अन्य देशों के साथ रुपये-मूल्य वाले व्यापार के लिए एक सामान्य ढांचा विकसित करने के लिए काम करने की वकालत करते हुए कहा कि इससे व्यवसायों के लिए उन देशों के साथ रुपये में व्यापार करना आसान हो जाएगा, जिनका भारत के साथ द्विपक्षीय समझौता नहीं है।
महाजन ने आगे कहा कि इस तरह से भारत रुपये को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए अधिक व्यापक रूप से स्वीकृत मुद्रा बनाने में मदद कर सकता है। यह डॉलर पर भारत की निर्भरता को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए इसके कई लाभ हो सकते हैं।
जुलाई, 2022 में, भारतीय रिजर्व बैंक ने एक परिपत्र के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात के भारतीय रुपये में निपटान की अनुमति दी थी। यह यूक्रेन और रूस युद्ध के चलते रूस को भुगतान के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि में एक रणनीतिक निर्णय था। भारतीय निर्यात को बढ़ावा देकर भारतीय रुपये को मजबूत करने के लिए भी यह फैसला किया गया था।
इसके बाद दिसंबर, 2022 में, भारत ने पहली बार भारतीय रुपये में कच्चे तेल के आयात के लिए रूस को भुगतान किया। इससे भारतीय रुपए पर बाजार से लगातार बढ़ती दर पर डॉलर खरीदने का कुछ दबाव कम हुआ है।
रुपये में व्यापार के निपटान की सुविधा के लिए, अब तक, भारतीय बैंकों ने यूके, न्यूजीलैंड, जर्मनी, मलेशिया, इजराइल, रूस और संयुक्त अरब अमीरात सहित 19 देशों के साथ विशेष वोस्ट्रो खाते खोले हैं। रूस की तरह, इन 19 देशों में से कुछ अन्य देश भारत को बड़े पैमाने पर निर्यात करते हैं और उन्हें उनके निर्यात के लिए भारतीय रुपये में भुगतान किया जाएगा।
माना जा रहा है कि ऐसे देश भारत से अधिक से अधिक उत्पादों के आयात के लिए अपने भारतीय रुपये के भंडार का उपयोग करने की संभावना रखते हैं। भारत में उपलब्ध वस्तुओं या सेवाओं की गुणवत्ता और मात्रा के अधीन भारत से निर्यात को पर्याप्त बढ़ावा मिल सकता है। रुपए में भुगतान से बढ़ते वैश्विक आर्थिक जोखिमों के बीच कीमती विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने में मदद मिल सकती है।
स्वदेशी जागरण मंच की ओर से जारी बयान में कहा गया कि 31 मार्च, 2023 को घोषित विदेश व्यापार नीति के अनुसार वर्ष 2030 तक 2 हजार अरब डॉलर के माल और सेवाओं के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है, जिसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। आज भी भारत में महंगाई की दर बाकी दुनिया के मुकाबले कम है। इसके अलावा, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। ग्रोथ बढ़ने का असर जीएसटी की प्राप्तियों पर भी दिख रहा है। हालांकि, आयात शुल्क जीएसटी प्राप्तियों का एक बड़ा हिस्सा है, मध्यवर्ती वस्तुओं के आयात पर मूल्यवर्धन भी जीएसटी में वृद्धि का कारण बन रहा है। मुद्रास्फीति के नियंत्रण में होने से रुपये में व्यापार निपटान को और बढ़ावा मिलेगा।
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Created On :   5 Jun 2023 3:02 PM IST