विवादों में प्रसादम: 300 साल पुराने तरीके से प्रसाद बनाते हैं 'पोटू', फेस रिक्गनिशन और बॉयोमैट्रिक सिक्योरिटी के बीच बनते हैं जीआई टैग वाले खास लड्डू

300 साल पुराने तरीके से प्रसाद बनाते हैं पोटू, फेस रिक्गनिशन और बॉयोमैट्रिक सिक्योरिटी के बीच बनते हैं जीआई टैग वाले खास लड्डू
  • विवादों में है तिरुपति मंदिर का लड्डू
  • लड्डू में गाय की चर्बी मिलाने का दावा जारी
  • नायडू सरकार ने जगन सरकार पर साधा निशाना

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। इस मंदिर में तिरुपति बालाजी के रूप में भगवान विष्णु की पूजा होती है। मंदिर की तरह बालाजी का प्रसाद भी विश्व प्रसिद्ध है क्योंकि यहां एक खास प्रकार के लड्डू का भोग लगाया जाता है। जो इन दिनों सुर्खियों में है। आंध्रा के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया है कि पिछली सरकार के दौरान लड्डू में चर्बी मिलाई जाती थीं। वहीं, उनके दावे के बाद “नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड” ने लड्डू में चर्बी और बीफ मिलने की पुष्टि की है। इस खुलासे के बाद ना सिर्फ आंध्र प्रदेश की राजनीति गरमाई है बल्कि, दुनियाभर के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को भी ठेस पहुंचा है। आइए जानते हैं कि इस लड्डू का इतिहास क्या है? साथ ही, इस लड्डू की क्या मान्यता है।

प्रसाद में मिलने वाले इस लड्डू को ‘पनयारम’ कहा जाता है, इसको बनाने कि विधि 300 साल से भी पुरानी है। इस प्रसाद की खास बात है कि ये कई दिनों तक खराब नहीं होते हैं। इसकी कीमत भी बहुत कम होती है। यहां हर दिन आठ लाख लड्डू बनाए जाते हैं, जिसके लिए परिसर में एक खास जगह तय है और इनको बनाने के लिए अलग से रसोईए भी होते हैं। जिसे “पोटू” कहा जाता है। लड्डू बनाने के लिए वहां के कारीगर आज भी तीन सौ साल पुराना पारंपरिक तरीका इस्तेमाल करते हैं। लगभग 600 से ज्यादा रसोईए वहां काम करते हैं। साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाता है।

प्रसाद ग्रहण करने से पहले जांच

तिरुपति बालाजी के प्रसाद को लेने के लिए भी श्रद्धालुओं को एक सुरक्षा चक्र से गुजरना पड़ता है। इसमें सिक्योरिटी कोड और बॉयोमीट्रिक की जरूरत पड़ती है। इसमें फेस रिकग्निशन का भी इस्तेमाल किया जाता है। इस लड्डू को जीआई टैग भी हासिल है। इस लड्डू को बनाने का पेटेंट सिर्फ मंदिर ट्रस्ट यानी तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के ही पास है।

लड्डुओं के प्रकार

यहां मिलने वाले लड्डू कई प्रकार के होते हैं। सबसे छोटे लड्डू को “प्रोक्तम” कहा जाता है। इसका वजन 40 ग्राम होता है। यह दर्शन करने वाले सभी श्रद्धालुओं को मंदिर की ओर से दिए जाते हैं। दूसरे प्रकार का लड्डू “अस्थानम” है। जिसके एक लड्डू का वजन 175 ग्राम का होता है। यह किसी त्योहार या खास मौके पर तैयार किया जाता है। इसका मुल्य 50 रूपये है। तीसरा, कल्याणोत्सवम लड्डू है, जिसकी मांग सबसे ज्यादा होती है। इसकी खासियत यह है कि यह लड्डू 15 दिनों तक खराब नहीं होता है। इसका वजन 750 ग्राम होता है, जिसकी कीमत 200 रुपये है।

Created On :   21 Sept 2024 12:37 PM GMT

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