सुप्रीम कोर्ट का सवाल: जय श्री राम का नारा लगाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का कर्नाटक सरकार से सवाल- नारे लगाना अपराध कैसे?
- मस्जिद में लगाए 'जय श्री राम' के नारे
- सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से पूछे सवाल
- सीआरपीसी की धारा 482 का गलत उपयोग किया है- कामत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मस्जिद में 'जय श्री राम' के नारे लगाने वाले दर्ज हुए केस को रद्द करने के खिलाफ याचिका पर नोटिस जारी करने से फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है। कोर्ट का याचिकाकर्ता से कहना है कि, वह याचिका की कॉपी कर्नाटक सरकार को सौंप दें। राज्य सरकार से जानकारी लेने के बाद ही जनवरी में इस मामले पर सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता हैदर अली कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के कडाबा तालुका के रहने वाले हैं। इनके लिए वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत पेश हुए हैं। जस्टिस पंकज मिथल और संदीप मेहता की बेंच ने मामले को समझने की कोशिश की और पूछा कि धार्मिक मामला अपराध कैसे कहा जा सकता है? जिस पर कामत ने कहा है कि, ये दूसरे मजहब के धर्मस्थल में जबरदस्ती घुसने और धमकाने का भी मामला है। दूसरे धार्मिक स्थल में जाकर दूसरे समुदाय के नारे लगा कर आरोपियों ने सांप्रादायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की है।
कामत का क्या है कहना?
कामत ने आगे कहा है कि, इस मामले में सीआरपीसी की धारा 482 का गलत उपयोग किया है। मामले की पूरी जांच होने से पहले ही हाई कोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी है। जिस पर जजों ने कहा है कि उन्हें देखना होगा कि आरोपियों के खिलाफ क्या सबूत हैं और उनकी रिमांड मांगते वक्त पुलिस की निचली अदालत से क्या बात हुई।
किसके खिलाफ दर्ज हुआ था केस?
13 सितंबर को हाई कोर्ट ने मस्जिद में 'जय श्री राम' का नारा लगाने वाले 2 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। जिसमें एक का नाम कीर्तन कुमार है और दूसरे का सचिन कुमार है। इन दोनों के खिलाफ ही आपराधिक कार्रवाई रद्द कर दी गई थी। दोनों के खिलाफ आईपीसी की 447, 295A और 506 धाराओं के तहत अवैध प्रवेश, धर्मस्थल पर भड़काऊ हरकतें करने और धमकी देने के मामले में केस दर्ज किया गया था। लेकिन हाई कोर्ट के जस्टिस नागप्रसन्ना की बेंच का कहना है कि, इलाके में लोग सांप्रादायिक सौहार्द के साथ रह रहे हैं। जिसमें 2 लोगों के कुछ नारे लगा देने को दूसरे धर्म का अपमान नहीं कहा जा सकता है। इस ही आधार पर हाई कोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी थी।
Created On :   16 Dec 2024 3:21 PM IST