उत्तर प्रदेश: हाथरस मामले में मंगलवार को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट
- पीड़ित परिवार की सुरक्षा सीआरपीएफ को सौंपने की मांग
- मामले पर विस्तृत सुनवाई के बाद एससी ने अपना आदेश सुरक्षित रखा था
- हाथरस में 14 सितंबर को 19 साल की लड़की से की गई थी दरिंदगी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश के हाथरस में कथित सामूहिक दुष्कर्म और मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि सीबीआई जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट करेगा या फिर हाईकोर्ट। अदालत मामले का ट्रायल उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर करने के मसले पर भी फैसला करेगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि पीड़ित परिवार को मुहैया कराई जाने वाली सुरक्षा के बारे में भी फैसला सुनाएगा। न्यायाधीश एएस बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यम के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ दोपहर 12 बजे आदेश सुनाएगी।
15 अक्टूबर को पिछली सुनवाई में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने हाथरस पीड़ित के परिवार की सुरक्षा के लिए किसी भी एजेंसी को नियुक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा था कि इससे राज्य पुलिस की निष्पक्षता पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए।
मामले पर विस्तृत सुनवाई के बाद एससी ने अपना आदेश सुरक्षित रखा था
डीजीपी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने प्रधान न्यायाधीश बोबड़े की अध्यक्षता वाली बैंच के समक्ष कहा कि यह अदालत परिवार की सुरक्षा के लिए किसी भी एजेंसी की प्रतिनियुक्ति कर सकती है, लेकिन इससे राज्य पुलिस की निष्पक्षता पर कोई नहीं प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। हम किसी चीज के विरोध में नहीं हैं। साल्वे ने जोर देकर कहा कि कुछ भी ऐसा नहीं होना चाहिए, जिससे उत्तर प्रदेश पुलिस की छवि खराब हो। मामले पर विस्तृत सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
पीड़ित परिवार की सुरक्षा सीआरपीएफ को सौंपने की मांग
साल्वे की प्रतिक्रिया वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह द्वारा दी गई दलीलों पर आई थी, जो एक हस्तक्षेपकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जिसने शीर्ष अदालत से पीड़ित परिवार की सुरक्षा के साथ सीआरपीएफ को सौंपने और इसे उत्तर प्रदेश पुलिस से वापस लेने का आग्रह किया था। उन्होंने उन्नाव मामले का हवाला दिया, जहां दुष्कर्म पीड़िता को सुरक्षा प्रदान की गई थी, लेकिन सड़क दुर्घटना में उसे बड़े पैमाने पर चोटों का सामना करना पड़ा।
यूपी सरकार के वकील ने एनजीओ के हस्तक्षेप का विरोध
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि न्याय के नाम पर इस एनजीओ ने अतीत में पैसा इकट्ठा किया और इसे गलत तरीके से दुरुपयोग किया। अदालत को उन्हें पैसा इकट्ठा करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
हाथरस में 14 सितंबर को 19 साल की लड़की से की गई थी दरिंदगी
बता दें कि हाथरस जिले के एक गांव में 14 सितंबर को 19 साल की एक दलित लड़की के साथ चार युवकों ने कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया था। इसके कई दिनों बाद दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता ने दम तोड़ दिया। प्रशासन ने 30 सितंबर को पीड़िता के घर के नजदीक ही उसकी रातों-रात अंत्येष्टि कर दी थी।
पुलिस ने परिवार के बिना किया पीड़िता का अंतिम संस्कार
पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया था कि स्थानीय पुलिस ने उनकी इच्छा के पूछे बिना ही अंतिम संस्कार कर दिया। शव को देखने तक नहीं दिया। वहीं पुलिस का कहना है कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया।
योगी सरकार ने सीबीआई को सौंपी मामले की जांच
योगी आदित्यनाथ सरकार ने पहले इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी थी। बाद में राज्य सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच की सिफारिश की। अब मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट कई पहलुओं पर अपना फैसला सुनाएगा।
Created On :   26 Oct 2020 11:59 PM IST