26/11 से  था उदयपुर हत्याकांड का खास कनेक्शन, कातिलों को पसंद थी आतंक वाली तारीख, इस तरह किया तारीख का इस्तेमाल

Udaipur massacre has a special connection from 26/11, the murderers liked the date of terror
26/11 से  था उदयपुर हत्याकांड का खास कनेक्शन, कातिलों को पसंद थी आतंक वाली तारीख, इस तरह किया तारीख का इस्तेमाल
उदयपुर हत्याकांड 26/11 से  था उदयपुर हत्याकांड का खास कनेक्शन, कातिलों को पसंद थी आतंक वाली तारीख, इस तरह किया तारीख का इस्तेमाल

डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की बेरहमी से हत्या में नए नए खुलासे हो रहे हैं। कुछ खुलासे दिल दहला देने वाले हैं और कुछ हैरान करने वाले। आरोपियों ने इस हत्या के लिए जो प्लानिंग की थी, उसमें उनकी बाइक का नंबर भी शामिल था। अब तक आपने पढ़ा होगा कि आरोपियों ने ऐसा चाकू तलाश था, जिससे गला आसानी से कट जाए। चाकू तलाशने के अलावा आरोपियों ने इस हत्याकांड के लिए जो बाइक इस्तेमाल की, उसके लिए  स्पेशल नंबर भी बुलवाया था। उस नंबर के बारे में जानेंगे तो आपको अंदाजा होगा कि, इन दोनों आरोपियों के मन में किस हद तक नफरत भरी थी। 

बड़ी आतंकी घटना से जुड़ा है नंबर

इस घटना के अंजाम देने से पहले आरोपियों ने अपने लिए 2611 नंबर अलॉट करवाया था। इस नंबर को अलॉट करवाने के लिए आरोपियों में एक रियाज ने पांच हजार रुपये देकर आरटीओ से ये स्पेशल नंबर निकलवाया था। इस नंबर को रियाज पाक नंबर मानता था। इसलिए इस नंबर को खासतौर से अपनी बाइक के लिए निकलवाया। कन्हैयालाल की हत्या के बाद दोनों आरोपी इसी नंबर की बाइक से भागे थे।

क्या है 2611 के मायने?

2611 या 26/11  ये वो तारीख है जब मुंबई पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था।  2008 में, लश्कर के दस आतंकवादियों ने कराची से समुद्र के रास्ते मुंबई में  घुस गए, और 26 नवंबर की रात को आतंकवादियों ने ज्यादा भीड़-भाड़ वाले इलाको में अंधाधुद गोलियां बरसाई थीं। जिसमें छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ताज होटल, लियोपोल्ड कैफ़े, ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस, कामा अस्पताल में ताबड़तोड़ फायरिंग हुई थीं। जिसमें 166 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।  इसके अलावा इन हमलों में 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। हमलावरों में से नौ मारे गए थे। जबकि एकमात्र जीवित बचे आतंकवादी अजमल कसाब को पकड़ लिया गया था और बाद में उसे फांसी की सजा दी गई थी।
 
पाकिस्तान से जुड़ते तार: 
 
तीस लोगों के साथ गौस मोहम्मद 2014 में जोधपुर के रास्ते कराची गया था,  तब उन सभी ने दावत-ए-इस्लामी में 15 दिनों की ट्रेनिंग ली थी। फिर रियाज के साथ मिलकर युवाओं का ब्रेनवॉश करता था। दोनों आरोपी कानपुर, दिल्ली-मुंबई में भी दावत-ए-इस्लामी की बैठकों में हिस्सा लेने जाते थे। 
  
वॉट्सएप ग्रुप से डर फैलाने की कोशिश 

दावत-ए-इस्लामी से जुड़े मोहम्मद गौस ने ‘अल्लाह के बंदे’, ‘लब्बो’ या ‘रसूलुल्लाह’ जैसे नामों के कई वॉट्सएप ग्रुप बना रखे थे। इनके जरिए उसने हजारों लोगों को जोड़ रखा था।  गौस ने हत्या का वीडियो इन्हीं ग्रुप्स में डाला था।   

Created On :   1 July 2022 5:19 PM IST

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