तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को बचाने के लिए जैन मुनि ने त्यागे प्राण, 25 दिसंबर से कर रहे थे आमरण अनशन, जैन समाज ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

To save Sammed Shikhar, Jain monk, who has been on fast unto death since December 25, sacrificed his life, Jain society warned of fierce agitation
तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को बचाने के लिए जैन मुनि ने त्यागे प्राण, 25 दिसंबर से कर रहे थे आमरण अनशन, जैन समाज ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
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हाईलाइट
  • एक और जैन मुनी बैठे आमरण अनशन पर

डिजिटल डेस्क, जयपुर। झारखंड सरकार के जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल बनाए जाने के फैसले का जैन समाज द्वारा भारी विरोध हो रहा है। सरकार के इस फैसले के विरोध में 25 दिसंबर से आमरण अनशन पर बैठे जैन मुनि सुज्ञेयसागर का आज निधन हो गया। वह 72 साल के थे। उनकी डोल यात्रा को आज सांगानेर संघीजी मंदिर से निकाला गया। इस दौरान बड़ी संख्या में जैन धर्म के लोग मौजूद रहे। जैन मुनि को जयपुर के सांगानेर में श्रमण संस्कृति संस्थान में समाधि दी गई। 

इस बीच जयपुर में जैन मुनि आचार्य शंशाक का कहना है कि जैन समाज अभी अहिंसक तरीके से आंदोलन कर रहा है, अगर हमारी मांग नहीं मानी गई तो आने वाले दिनों में आंदोलन को उग्र भी किया जा सकता है।

एक और जैन मुनी बैठे आमरण अनशन पर 

सम्मेद शिखर को बचाने की कड़ी में एक और जैन मुनि समर्थ सागर ने भी अन्न का त्याग कर दिया है। अखिल भारतीय जैन बैंकर्स फोरम के अध्यक्ष भागचंद्र जैन के मुताबिक, सुज्ञेयसागर जी महाराज ने सम्मेद शिखर को बचाने के लिए बलिदान दिया है। वो इस मुहिम से जुड़े हुए थे। जब उन्हें पता चला कि इस पवित्र स्थल को सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित किया है तब से वे अन्न-जल का त्यागकर आमरण अनशन पर बैठ गए थे। 

क्यों हो रहा है विरोध?

गौरतलब है कि झारखंड राज्य के गिरिडीह में पारसनाथ पहाड़ियों पर बना सम्मेद शिखरजी जैन धर्म का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने इस स्थल को पर्यटक बनाने का निर्णय लिया है। सरकार ने इसे लेकर जो नोटिस जारी किया है उसमें सम्मेद शिखर पर्यटन सथल बनाने की बात कही गई है। जिसका विरोध जैन समाज पूरे देश में कर रहा है। समाज द्वारा इसे अपनी धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात बताया है। जैन समाज के लोगों का कहना है कि सरकार की तरफ से दिए नोटिस में मछली व मुर्गी पालन के लिए अनुमति दी गई है। इसके अलावा जैन समाज के लोगों को डर है कि पर्यटन स्थल घोषित होने के बाद यहां मांस-मदिरा भी बिकने लगेगी, जो कि समाज की धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है। 

इस मामले पर मीडिया से बात करते हुए जैनमुनि प्रमाण सागर ने कहा कि शिखरजी को ईको टूरिज्म नहीं बल्कि ईको तीर्थ होना चाहिए। सरकार को इस स्थल की पवित्रता बनाए रखने के लिए इसके 5 किमी के दायरे में फैले परिक्रमा स्थल को पवित्र स्थल घोषित करना चाहिए। 

Created On :   3 Jan 2023 6:21 PM IST

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