41 लाख लोगों के भविष्य का फैसला कल, अंतिम सूची से पहले धारा 144 लागू
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- 41 लाख लोगों की नागरिकता पर होगा फैसला
- अंतिम सूची से पहले असम में लागू हुई धारा 144
- कल आएगी एनआरसी की अंतिम सूची
डिजिटल डेस्क, गुवाहाटी। भारत के असम में बसे अवैध नागरिकों को बाहर का रास्ता दिखाने वाले राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) को पूरा करने का काम अपने अंतिम चरण में है। सुप्रीम कोर्ट ने NRC के प्रकाशन के लिए अंतिम तिथि 31 अगस्त निर्धारित की है। यानी कल शनिवार को अंतिम सूची जारी होने के साथ ही 41 लाख लोगों के भविष्य का फैसला हो जाएगा। जिससे यहां के सही निवासियों की पहचान की जाएगी और अवैध घुसपैठियों को उनके देश वापस भेजा जाएगा।
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन NRC की अंतिम सूची आने में अब 24 घंटे से भी कम का समय बचा है। इसको देखते हुए पूरे राज्य को हाई अलर्ट पर रखा गया है। NRC पर अंतिम सूची आने से पहले राज्य में भय का माहौल है। हालांकि केंद्र सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि जो लोग अपनी नागरिकता खो देंगे उन्हें डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा। ऐसे में लोगों को ज्यादा भय में रहने की जरूरत नहीं है।
इस बीच गृह मंत्रालय ने लोगों से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन NRC की अंतिम सूची आने से जुड़ी किसी भी प्रकार की अफवाह पर विश्वास नहीं करने के लिए कहा है। मंत्रालय ने साफ किया है कि किसी व्यक्ति का NRC में नाम शामिल नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि उसे विदेशी घोषित कर दिया गया है।
बता दें कि पिछले साल 31 जुलाई को जारी किए गए NRC के ड्राफ्ट में 40.7 लाख लोगों के नाम सूची से बाहर कर दिए गए थे। इसके बाद 26 जून 2019 को एक अतिरिक्त ड्राफ्ट अपवर्जन सूची आई जिसमें करीब एक लाख और लोगों के नाम सूची से बाहर निकाले गए थे। कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से करीब 2.9 करोड़ लोगों को NRC में शामिल किया गया है। ऐसे लोग जिनका नाम NRC की अंतिम सूची में नहीं है, उन्हें खुद को भारत का वैध नागरिक साबित करने के लिए बड़ी जंग लड़नी पड़ेगी।
क्या है NRC
आसान शब्दों में कहें तो यह असम में रह रहे भारतीय नागरिकों की एक सूची है, जो यह तय करती है कि कौन भारत का नागरिक नहीं है और फिर भी भारत में रह रहा है। NRC का उद्देश्य देश के वास्तविक नागरिकों को दर्ज करना और अवैध प्रवासियों की शिनाख्त करना है। असम में ऐसा पहली बार साल 1951 में पंडित नेहरू की सरकार द्वारा असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीनाथ बारदोलोई को शांत करने के लिए किया गया था। बारदोलाई विभाजन के बाद बड़ी संख्या में पूर्वी पाकिस्तान से भागकर आए बंगाली हिंदू शरणार्थियों को असम में बसाए जाने के खिलाफ थे।
Created On :   30 Aug 2019 12:44 PM IST