दरार की खबरों को सुशील मोदी ने किया खारिज, कहा- नीतीश के नेतृत्व में लड़ेंगे चुनाव
- अगले साल होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा
- दोनों सहयोगियों के बीच लोकसभा चुनाव के बाद से ही दरार पड़ने की अटकलें लगाई जा रही थी
- भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को विधानसभा में इसकी घोषणा की
डिजिटल डेस्क, पटना। अगले साल होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को विधानसभा में इसकी घोषणा की। बता दें कि दोनों सहयोगियों के बीच लोकसभा चुनाव के बाद से ही दरार पड़ने की अटकलें लगाई जा रही थी, लेकिन सुशील मोदी के इस बयान के बाद मामला थोड़ा शांत होता हुआ नजर आ रहा है।
सुशील मोदी ने सदन में कहा, "मीडिया में जो खबरें आ रही थी उससे लोगों के मन में संदेह पैदा हो गया था कि क्या एनडीए बरकरार रहेगा या नहीं। मैं इस सदन से राज्य के लोगों को बता दूं कि हम अगले साल नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।" पिछले हफ्ते राज्य की इंटेलिजेंस विंग की विशेष शाखा के एक पत्र के लीक होने के बाद से जेडीयू-भाजपा गठबंधन सरकार कुछ तनाव में आ गई है।
मूल रूप से 28 मई को जारी किए गए इस पत्र में, सभी अधीनस्थ कार्यालयों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके 18 सहयोगी संगठनों राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, धर्म जागरण सम्नयव समिति, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, हिंदू राष्ट्र सेना, राष्ट्रीय सेविका समिति, शिक्षा भारती, दुर्गा वाहिनी, स्वेदशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय रेलवे संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी, हिंदू पुत्र संगठन के पदाधिकारियों के नाम और पते मांगे गये थे।
इस मामले के खुलासे के बाद बिहार में राजनीतिक बवाल मच गया था। बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ सरकार में सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसका विरोध किया था तो विपक्षी महागठबंधन ने कहा था कि अब एनडीए सरकार के दिन पूरे हो गए हैं।
भले ही दोनों दलों ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में बहुत सफल गठबंधन किया हो, लेकिन केंद्रीय मंत्री मंडल में जूडीयू की भागीदारी को लेकर कुछ मतभेद रहे हैं। जब एनडीए दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में लौटी, तो नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जूडीयू ने केंद्र में "प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व" की पेशकश को स्वीकार नहीं किया। बिहार सरकार ने बाद में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, जिसमें आठ मंत्रियों को शामिल किया गया - ये सभी जेडीयू से थे। इस पूरे घटनाक्रम के बाद से ही दोनों दलों के बीच मतभेद की खबरें बढ़ गई थी।
Created On :   22 July 2019 4:37 PM GMT