सुप्रीम कोर्ट ने माणिक भट्टाचार्य की गिरफ्तारी को वैध ठहराया
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- हमें नहीं लगता कि किसी जांच एजेंसी के काम में दखल देना उचित होगा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस नेता और पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य की गिरफ्तारी पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और विक्रम नाथ की पीठ ने भट्टाचार्य की याचिका खारिज करते हुए कहा, हम ईडी द्वारा याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी को अवैध नहीं ठहरा सकते।
सुनवाई के दौरान भट्टाचार्य के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि अदालत ने उन्हें सीबीआई मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण दिया था और इसे ईडी के मामले में आगे बढ़ाया जाना चाहिए। वकील ने आगे तर्क दिया कि भट्टाचार्य हर मौके पर ईडी के सामने पेश हुए, लेकिन ईडी का दावा है कि वह सहयोग नहीं कर रहे थे।
पीठ ने कहा, किसी एजेंसी द्वारा की गई गिरफ्तारी की वैधता का परीक्षण करते समय ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार दिया जाता है, जिसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला होता है। एजेंसी प्रथम दृष्टया सबूत पर विचार करती है, हमें नहीं लगता कि किसी जांच एजेंसी के काम में दखल देना उचित होगा।
ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीबीआई मामले में तृणमूल विधायक को दी गई सुरक्षा बढ़ाने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि ईडी एक स्वतंत्र एजेंसी है जो तृणमूल विधायक के खिलाफ धन शोधन मामले की अलग से जांच कर रही है।
शीर्ष अदालत ने कहा, 27 सितंबर 2022 को हमारे द्वारा पारित याचिकाकर्ता के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई को रोकने के आदेश को हमने अभी भी जारी रखने का निर्देश दिया है। प्रवर्तन निदेशालय को 2002 के अधिनियम के तहत आरोपों की जांच करनी है, जो अभी बाकी है।
भट्टाचार्य को इस महीने की शुरुआत में ईडी ने शिक्षक नियुक्ति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।अदालत ने भट्टाचार्य की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ ईडी को उनकी याचिका में पक्षकार बनाने की मांग की थी।
पीठ ने कहा, धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत, मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है और यदि ईडी के अधिकार क्षेत्र से परे कार्य करने का कोई आरोप है या उनकी गिरफ्तारी का कार्य कानून द्वारा अधिकृत नहीं है, तो याचिकाकर्ता स्वतंत्र रूप से उपयुक्त न्यायालय के समक्ष आवेदन करने का हकदार होगा।शीर्ष अदालत ने 18 अक्टूबर को तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी और भारी मात्रा में अवैध धन की वसूली के बाद सीबीआई को घोटाले में भट्टाचार्य के खिलाफ अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी।
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Created On :   20 Oct 2022 9:00 PM IST