अयोध्या विवाद : 550 साल से ज्यादा का इतिहास, जानें कब-कब क्या हुआ?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या विवाद पर गुरुवार को फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। 5 दिसंबर 2017 को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने साफ कर दिया था कि इस मामले में सुनवाई को अब नहीं टाला जाएगा। वहीं मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से पेश एडवोकेट कपिल सिब्बल ने इस चुनावी मुद्दा बताया था और सुनवाई को 15 जुलाई 2019 तक टालने की बात कही थी। अयोध्या का ये विवाद ऐसा है, जिसपर राजनीति भी हुई है और हिंसा भी भड़की है। 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया था, जिसके बाद से ही ये मामला हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और अभी तक पेंडिंग है। इस मामले को 25 साल से ज्यादा हो गए, लेकिन इसपर फैसला आज तक नहीं आया। गुरुवार को इस पर फिर से सुनवाई शुरू हो रही है, तो ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं अयोध्या विवाद के पूरे इतिहास में आज तक क्या-क्या हुआ?
क्या है पूरा विवाद?
अयोध्या विवाद इस देश का सबसे बड़ा विवाद है, जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1528 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और अब सुप्रीम कोर्ट में है।
1528 : मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीरबांकी ने अयोध्या में मस्जिद बनाई, जिसके बाबरी नाम से जाना जाता था। हिंदू पक्ष का कहना है कि बाबर ने यहां पर मंदिर तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण करवाया था।
1853 : हिंदुओं ने आरोप लगाया कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर यहां पर मस्जिद बनाई गई और इस मुद्दे पर हिंदू-मुसलमान के बीच पहली बार हिंसा हुई।
1859 : मामला बढ़ता देख ब्रिटिश सरकार ने विवादित स्थल पर तारों की एक बाड़ी लगा दी और मुस्लिमों और हिंदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाएं करने की इजाजत दे दी
1885 : पहली बार ये मामला अदालत में पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की।
23 दिसंबर 1946 : कहा जाता है कि 50 से ज्यादा हिंदुओं ने मस्जिद के अंदर भगवान राम की मूर्ति रख दी और पूजा करने लगे।
16 जनवरी 1950 : फैजाबाद कोर्ट में गोपाल सिंह विशारद नाम के व्यक्ति ने अपील दायर कर भगवान राम की पूजा-अर्चना के लिए विशेष अनुमति मांगी। इसके साथ ही उन्होंने वहां से मूर्ति हटाने पर भी रोक की मांग की।
5 दिसंबर 1950 : इसके बाद महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राम की मूर्ति रखने के लिए केस दायर किया। पहली बार मस्जिद को "ढांचा" नाम दिया गया।
17 दिसंबर 1950 : निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल को हस्तांतरित करने के लिए केस दायर किया।
18 दिसंबर 1951 : इसके बाद उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए केस दायर किया।
1984 : विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मभूमि को आजाद कराने और राम मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया। इसके लिए बकायदा एक कमेटी भी बनाई गई।
जून 1989 : भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में वीएचपी को समर्थन देने का एलान किया।
जुलाई 1989 : "भगवान रामलला विराजमान" नाम से 5वां केस दायर किया गया।
9 नवंबर 1989 : तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के पास शिलान्यास करने की इजाजत दी।
25 सितंबर 1990 : उस समय के बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिसके बाद सांप्रदायिक हिंसा हुई।
नवंबर 1990 : आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर से गिरफ्तार कर लिया गया। बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।
अक्टूबर 1991 : उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया।
6 दिसंबर 1992 : हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद को ढहा दिया, जिसके बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए। जल्दबाजी में एक अस्थाई राम मंदिर भी बना दिया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया।
16 दिसंबर 1992 : मस्जिद की तोड़-फोड़ की जांच के लिए एमएस लिब्रहान कमीशन का गठन किया गया।
जनवरी 2002 : तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था।
अप्रैल 2002 : अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में तीन जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की।
मार्च-अगस्त 2003 : इलाहबाद हाईकोर्ट के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं। मुस्लिमों में इसे लेकर अलग-अलग मत थे।
जुलाई 2005 : संदिग्ध इस्लामी आतंकवादियों ने विस्फोटकों से भरी एक जीप का इस्तेमाल करते हुए विवादित स्थल पर हमला किया। सुरक्षा बलों ने 5 आतंकवादियों को मार गिराया।
जुलाई 2009 : लिब्रहान कमीशन ने 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
28 सितंबर 2010 : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद इलाहाबाद हाईकोर्ट को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया।
30 सितंबर 2010 : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2.77 एकड़ की इस विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में जमीन को निर्मोही अखाड़ा, रामलला और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर बांटने का आदेश दिया था।
9 मई 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
21 मार्च 2017: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की है। चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा कि अगर दोनों पक्ष राजी हो तो वो कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं।
19 अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया।
9 नवंबर 2017: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बड़ा बयान दिया था। रिजवी ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनना चाहिए, वहां से दूर हटके मस्जिद का निर्माण किया जाए।
5 दिसंबर 2017 : सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। कोर्ट ने 8 फरवरी तक सभी डॉक्यूमेंट्स को पूरा करने को कहा।
Created On :   8 Feb 2018 10:15 AM IST