सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दुष्कर्म मामले में बच्ची के पिता की पहचान मायने नहीं रखती

Supreme Court said, the identity of the girls father does not matter in the rape case
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दुष्कर्म मामले में बच्ची के पिता की पहचान मायने नहीं रखती
सुप्रीम कोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दुष्कर्म मामले में बच्ची के पिता की पहचान मायने नहीं रखती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें कथित तौर पर बलात्कार की शिकार एक नाबालिग की बच्ची का डीएनए परीक्षण कराने की मांग की गई थी। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और ए.एस. बोपन्ना ने अपने आदेश में कहा: हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। तदनुसार विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है। लंबित आवेदन, यदि कोई हो, का निपटारा किया जाता है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि मामले में बच्चे के पिता की पहचान का कोई महत्व नहीं है। इसमें कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत अपराध में पिता की पहचान की कोई प्रासंगिकता नहीं है। आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि उसके मुवक्किल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 25 जून, 2021 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसने सत्र अदालत के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें बच्चे के डीएनए परीक्षण की अनुमति दी गई थी। आरोपी ने शीर्ष अदालत में याचिका में दावा किया कि उस पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह बच्चे का पिता है।

याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए, पीठ ने आगे कहा कि अगर आरोपी बच्चे का पिता नहीं होता, तो क्या यह बलात्कार को रोक देगा? शीर्ष अदालत का आदेश बलात्कार के आरोपी की याचिका पर आया, जो एक किशोर अदालत में मुकदमे का सामना कर रहा है, जिसने डीएनए परीक्षण के लिए उसकी याचिका पर विचार करने से भी इनकार कर दिया। आरोपी ने अधिवक्ता रॉबिन खोखर के माध्यम से याचिका दायर की।

आरोप है कि मामला दर्ज होने के सात महीने पहले आरोपी ने नाबालिग लड़की के साथ उसके परिजनों के सामने दुष्कर्म किया। पीड़िता की मां ने आरोपी और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के कोतवाली देहात थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। सुनवाई के दौरान आरोपी को किशोर घोषित कर दिया गया और किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष मुकदमा चल रहा है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि बच्चे के पितृत्व का निर्धारण अप्रासंगिक है, क्योंकि मामला यह है कि आरोपी ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया या नहीं।

 

 (आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   12 July 2022 11:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story