बलात्कार कानून में पति को छूट के खिलाफ याचिकाओं पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

Supreme Court notice to Center on petitions against exemption to husband in rape law
बलात्कार कानून में पति को छूट के खिलाफ याचिकाओं पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
नई दिल्ली बलात्कार कानून में पति को छूट के खिलाफ याचिकाओं पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
हाईलाइट
  • वैवाहिक बलात्कार के अपराध से पति की छूट असंवैधानिक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पत्नी की इच्छा के बिना पति के जबरन शारीरिक संबंध बनाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट के विभाजित फैसले से उत्पन्न याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि अदालत मामले को देखेगी क्योंकि इस पर लंबे समय से कानून मौजूद है। पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के 11 मई के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा है।

अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिवक्ता करुणा नंदी ने कोर्ट में कहा कि हाई कोर्ट के दो जजों ने अलग-अलग विचार रखे हैं और वे इस बात पर सहमत थे कि इस मामले का फैसला शीर्ष अदालत ही करे। नंदी ने जोर देकर कहा कि इस मामले में कानून का एक बड़ा सवाल शामिल है। शीर्ष अदालत ने सभी लंबित मामलों को क्लब करने का फैसला किया और मामले की अगली सुनवाई फरवरी, 2023 में निर्धारित की।

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने पीठ से 2018 से लंबित एक मामले को भी इसमें टैग करने का अनुरोध किया। यूथ फॉर इक्वेलिटी द्वारा दायर एक याचिका का हवाला देते हुए उन्होंने मांग की आईपीसी की धारा 375 पर स्पष्टीकरण दिया जाय कि अगर एक शख्स अपनी पत्नी से सेक्स करता है तो वो बलात्कार नहीं है, अगर पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक हो। 11 मई को जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी. हरि शंकर की पीठ ने आईपीसी की धारा 375 पर अलग-अलग राय व्यक्त की, जो बलात्कार के अपराध से एक व्यक्ति को अपनी पत्नी से जबरन संभोग की छूट देता है।

जस्टिस राजीव शकधर ने विवादास्पद कानून को रद्द करने का समर्थन करते हुए कहा कि वैवाहिक बलात्कार के अपराध से पति की छूट असंवैधानिक है, जिस पर न्यायमूर्ति हरिशंकर सहमत नहीं थे। जस्टिस शकदर ने कहा, जहां तक सहमति के बिना अपनी पत्नी से संभोग करने की बात है, तो ये अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है और इसलिए इसे रद्द कर दिया गया है। शीर्ष अदालत में दायर याचिकाओं में भारतीय बलात्कार कानून के तहत पति को दी गई छूट को खत्म करने का निर्देश देने की मांग की गई है। इन याचिकाओं का पुरुषों के अधिकार समूहों और अन्य लोगों ने विरोध किया है।

(आईएएनएस)

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Created On :   16 Sept 2022 5:00 PM IST

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