गांधीवादी चिंतक धर्मपाल की जन्म शताब्दी के अवसर पर होगा विशेष कार्यक्रम 

Special program will be held on the occasion of birth centenary of Gandhian thinker Dharampal
गांधीवादी चिंतक धर्मपाल की जन्म शताब्दी के अवसर पर होगा विशेष कार्यक्रम 
नई दिल्ली गांधीवादी चिंतक धर्मपाल की जन्म शताब्दी के अवसर पर होगा विशेष कार्यक्रम 
हाईलाइट
  • आईआईएमसी में होगा 'धर्मपाल प्रसंग' का आयोजन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक, विचारक, स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतबोध के संचारक धर्मपाल जी की जन्म शताब्दी के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) एवं समाजनीति समीक्षण केंद्र, चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में 18 फरवरी को "धर्मपाल प्रसंग" कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी करेंगे। देश-विदेश के प्रख्यात विद्धान इस आयोजन में हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आईआईएमसी के फेसबुक पेज एवं यूट्यूब चैनल पर किया जाएगा।

भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने बताया कि कार्यक्रम में हावर्ड विश्वविद्यालय में डिविनिटी के प्रोफेसर फ्रांसिस एक्स. क्लूनी, भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन, प्रख्यात स्वदेशी चिंतक  के. एन. गोविंदाचार्य, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के अध्यक्ष  राम बहादुर राय एव "तुगलक" के संपादक एस. गुरुमूर्ति हिस्सा लेंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रारूप समिति के सदस्य प्रो. एम. के. श्रीधर, सुप्रसिद्ध योगाचार्य  टी. एम. मुकुंदन, आईआईटी चेन्नई में प्रोफेसर अशोक झुनझुनवाला, सोसाइटी फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हिमालयाज, मसूरी के संस्थापक निदेशक  पवन गुप्ता, विवेकानंद कॉलेज, चेन्नई के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो. के. वी. वरदराजन, सुप्रसिद्ध इतिहासकार एवं धर्मपाल जी की पुत्री प्रो. गीता धर्मपाल, प्रख्यात कवि एवं लेखक  उदयन वाजपेयी, समाजनीति समीक्षण केंद्र के निदेशक डॉ. जे. के. बजाज एवं अध्यक्ष प्रो. एम. डी. श्रीनिवास भी कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में शामिल होंगे।

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि धर्मपाल जी ने उस समृद्ध भारत से हमारा परिचय करवाया, जो अंग्रेजों के आने से पहले था। उनकी लिखीं किताबें भारतीय चेतना की जाग्रत अभिव्यक्ति हैं। भारत से लेकर ब्रिटेन तक अपने जीवन के लगभग 40 साल उन्होंने इस बात की खोज में लगाए कि अंग्रेजों से पहले भारत कैसा था। धर्मपाल जी की जन्म शताब्दी के अवसर पर हम एक बार फिर से उसी भारतबोध की चर्चा करना चाहते हैं। इस वजह से "धर्मपाल प्रसंग" का आयोजन किया जा रहा है।

Created On :   16 Feb 2022 5:02 PM IST

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