महात्मा गांधी के साथ 43 साल तक रहीं, उन्हें राष्ट्रपिता कहना शुरू किया, ऐसी है कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष की कहानी 

Remembering: know about Sarojini Naidu on her 73rd death anniversary 
महात्मा गांधी के साथ 43 साल तक रहीं, उन्हें राष्ट्रपिता कहना शुरू किया, ऐसी है कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष की कहानी 
महात्मा गांधी के साथ 43 साल तक रहीं, उन्हें राष्ट्रपिता कहना शुरू किया, ऐसी है कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष की कहानी 

डिजिटल डेस्क (भोपाल)।  73 साल पहले आज ही के दिन (दो मार्च 1949 को) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष सरोजिनी नायडू का निधन हुआ था। उनकी प्रभावी वाणी और ओजपूर्ण लेखनी के कारण नायडू को नाइटिंगेल ऑफ इंडिया कहा गया। उन्होंने देश की आजादी के संघर्ष में शिरकत की और आजादी के बाद उन्हें यूनाइटेड प्राविंसेज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) का राज्यपाल बनाया गया। उन्हें देश की पहली महिला राज्यपाल होने का भी गौरव हासिल है। 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मीं सरोजिनी के पिता अघोरेनाथ चट्टोपाध्याय हैदराबाद के निजाम कॉलेज में प्रिंसिपल थे। सरोजिनी ने यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास के अलावा लंदन के किंग्स कॉलेज और उसके बाद कैंब्रिज के गिरटन कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की। आइए, जानते हैं नायडू की लाइफ से जुड़ी कुछ बातें...

- महज 14 की उम्र में सरोजिनी ने सभी अंग्रेजी कवियों की रचनाओं का अध्ययन कर लिया था। 
-1895 में हैदराबाद के निजाम ने उन्हें वजीफे पर इंग्लैंड भेजा। 
- 1898 में उनका विवाह डॉ. गोविन्द राजालु नायडू से हुआ।
- सरोजिनी नायडू की महात्मा गांधी से प्रथम मुलाकात 1914 में लंदन में हुई 
- वे गोपालकृष्ण गोखले को अपना "राजनीतिक पिता" मानती थीं। 

जलियांवाला बाग हत्याकांड से क्षुब्ध होकर उन्होंने 1908 में मिला "कैसर-ए-हिन्द" सम्मान लौटा दिया था। भारत छोड़ो आंदोलन में उन्हें आगा खां महल में सजा दी गई। वे उत्तरप्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनीं। 

अपनी युवा अवस्था में सरोजिनी की गांधी जी से लंदन में मुलाकात हुई थी। उन्होंने गांधी जी को जमीन पर बैठे देखा था। वे पिचके हुए टमाटर, जैतून के तेल और बिस्किट से रात का भोजन कर रहे थे। वे उनकी ओर देखकर हंसीं। गांधी जी भी उनकी ओर देखकर बोले- आप संभवतः सरोजिनी नायडू हैं। आइए मेरे साथ भोजन करें। इतना प्रखर जवाब सुनने के बाद सरोजिनी उनकी प्रशंसक हो गईं और उनकी ऐसी अनुयायी हो गईं, जो 43 साल बाद उनकी मृत्यु तक उनके साथ रहीं। उन्हीं ने गांधी जी को "राष्ट्रपिता" कहना शुरू किया था।

 

Created On :   2 March 2021 11:47 AM IST

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