फांसी​ मिलने के एक दिन पहले दोस्तों को खत लिख रहे थे भग​त सिंह, ऐसा था उस दिन का हाल

On Shaheed Bhagat Singh Birth Anniversary His Last Letter For comrades
फांसी​ मिलने के एक दिन पहले दोस्तों को खत लिख रहे थे भग​त सिंह, ऐसा था उस दिन का हाल
फांसी​ मिलने के एक दिन पहले दोस्तों को खत लिख रहे थे भग​त सिंह, ऐसा था उस दिन का हाल
हाईलाइट
  • 28 सितम्बर 1907 को पाकिस्तान में हुआ था जन्म
  • देश के वीर सपूत शहीद भगत सिंह की जयंती आज
  • भगत सिंह ने अपनी शहादत के पहले दोस्तों को खत लिखा

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। देश के वीर सपूत शहीद भगत सिंह की आज जयंती हैं। 28 सितंबर 1907 को आज ही ​के दिन उनका जन्म पाकिस्तान के बंगा में हुआ था। शायरी और कविता लिखने के शौकीन भगत सिंह के बारे में ऐसी कई बातें हैं, जिन पर अगर चर्चा की जाए तो सुबह से शाम हो जाए। इसलिए हम आज उनके जीवन की उस घटना का जिक्र कर रहे हैं। जब पूरा देश उनके लिए रो रहा था और वे मुस्कुरा रहे थे। दरअसल हम बात कर रहे हैं भगत सिंह के फांसी वाले दिन की। फांसी मिलने के ​एक दिन पहले भगतसिंह ने क्या किया?

क्या आपने कभी सोचा है कि मौत आपके सामने खड़ी हो और आप मुस्कुरा रहे हो। आप शायद ऐसा सोच भी नहीं सकते, लेकिन भग​तसिंह ऐसे ही थे। वे अपने फांसी के पहले मुस्कुरा रहे थे। अपने दोस्तों को खत लिख रहे थे। कोई मतवाला ही आजादी का परचम लेकर मुस्कुराते हुए मातृभूमि पर खुद को न्योछावर कर पाएगा। ऐसा जज्बा रखने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह ही थे। जिन्होंने अपनी शहादत के पहले दोस्तों को खत लिखा। खत में उन्होंने क्या लिखा इस बारे में आज हम आपको बता रहे हैं।


कॉमरेड्स,

जाहिर-सी बात है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना भी नहीं चाहता। आज एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं। अब मैं कैद होकर या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता. मेरा नाम हिन्दुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है। क्रांतिकारी दल के आदर्शों और कुर्बानियों ने मुझे बहुत ऊंचा उठा दिया है। इतना ऊंचा कि जीवित रहने की स्थिति में इससे ऊंचा मैं हरगिज नहीं हो सकता।

आज मेरी कमजोरियां जनता के सामने नहीं हैं। यदि मैं फांसी से बच गया तो वे जाहिर हो जाएंगी और क्रांति का प्रतीक चिह्न मद्धम पड़ जाएगा. हो सकता है मिट ही जाए। लेकिन दिलेराना ढंग से हंसते-हंसते मेरे फांसी चढ़ने की सूरत में हिन्दुस्तानी माताएं अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद या तमाम शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी।

हां, एक विचार आज भी मेरे मन में आता है कि देश और मानवता के लिए जो कुछ करने की हसरतें मेरे दिल में थीं। उनका 1000वां भाग भी पूरा नहीं कर सका अगर स्वतंत्र, जिंदा रह सकता तब शायद उन्हें पूरा करने का अवसर मिलता तो मैं अपनी हसरतें पूरी कर सकता। इसके अलावा मेरे मन में कभी कोई लालच फांसी से बचे रहने का नहीं आया। मुझसे अधिक भाग्यशाली कौन होगा, आजकल मुझे स्वयं पर बहुत गर्व है। मुझे अब पूरी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतजार है, कामना है कि ये और जल्दी आ जा।

तुम्हारा कॉमरेड,

भगत सिंह

ऐसा था फांसी वाले दिन का हाल
बस इस लेटर को लिखने बाद भगत सिंह ने अपने दोस्तों सुखदेव और राजगुरु के साथ हंसते- हंसते फांसी के फंदे को आगे बढ़कर चूम लिया था। एक तरफ जहां पूरा देश उनकी फांसी पर रो रहा था। वहीं भगतसिंह मुस्करा रहे थे। क्योंकि इन तीनों देशभक्त ने मौत से पहले आजादी का सपना देखा था। उनकी फांसी का वह पल इतना भयानक था कि लाहौर जेल में बंद सभी कैदियों की आंखें नम हो गईं थीं। इतना ही नहीं  जेल के कर्मचारी और अधिकारियों के भी फांसी देने में हाथ कांप रहे थे। फांसी के पहले भगतसिंह को अच्छे से नहलाया गया। नये कपड़े पहनाए गए और उनका मेडिकल चैकअप के दौरान वजन भी चैक किया गया। यह  बहुत ही दिलचस्प बात है कि फांसी के वक्त भगत का सिंह का वजन बढ़ गया था। 

पूरा देश कर रहा है भगत सिंह को याद

शहीदे आजम भगत सिंह की जन्म जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पूरा देश उन्हें कृतज्ञता से याद कर रहा है।

 

 

Created On :   28 Sept 2019 4:47 AM GMT

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