अफगानिस्तान की स्थिति पर NSA अजीत डोभाल ने रूसी समकक्ष के साथ उच्च स्तरीय बैठक की, पीएम मोदी से भी मुलाकात
- अफगानिस्तान के हालात को लेकर हुई चर्चा
- भारत और रूस के बीच बुधवार को एक उच्च स्तरीय बैठक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान के हालात को लेकर भारत और रूस के बीच बुधवार को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। अफगानिस्तान पर इंडिया-रशिया इंटर-गवर्नमेंटल कंसलटेशन्स का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और उनके रूसी समकक्ष निकोलाई पेत्रुशेव ने किया। इसमें विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। रूसी एनएसए निकोलोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की।
#WATCH | A delegation-level meeting of National Security Advisors between India Russia underway in Delhi pic.twitter.com/YwjYH9Q1VF
— ANI (@ANI) September 8, 2021
बैठक से परिचित लोगों ने कहा, एनएसए अजीत डोभाल और उनके रूसी समकक्ष ने भारत, रूस और मध्य एशियाई क्षेत्र के लिए तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के सिक्योरिटी इम्मप्लीकेशन पर चर्चा की क्योंकि जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) और लश्कर-ए-तैयबा सहित कई खूंखार आतंकी समूहों की युद्धग्रस्त देश में मजबूत उपस्थिति है। वहीं अजित डोभाल ने कहा कि निकोलाई पेत्रुशेव से मिलकर काफी अच्छा लगा, अफगानिस्तान को लेकर गंभीर चर्चा की गई। रूसी एनएसए निकोलोई अपने भारत दौरे पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे।
डेलिगेशन लेवल की वार्ता के एक रूसी रीड-आउट में कहा गया है कि दोनों देशों के "स्पेशल सर्विसेज और मिलिट्री बॉडीज" के जॉइंट वर्क को तेज करने पर ध्यान दिया गया। रीड-आउट में कहा गया, "24 अगस्त को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच टेलीफोन पर बातचीत के बाद, अफगानिस्तान में सैन्य, राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।" इसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष मल्टीलेटरल फॉर्मेट में अफगान मुद्दे पर समन्वय के लिए सहमत हुए। भारत और रूस दोनों ही आतंकवाद पर समान चिंताओं को शेयर करते हैं।
- तालिबान को वादों का पालन करने की आवश्यकता।
- अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों की उपस्थिति और मध्य एशिया और भारत में आतंकवाद से खतरा।
- इस्लामी कट्टरपंथ और उग्रवाद।
- अफगान सीमाओं पर आतंकवादी समूहों को हथियारों की सप्लाई और तस्करी।
- अफगानिस्तान के अफीम उत्पादन और तस्करी का केंद्र बनने की प्रबल संभावना।
भारत ने अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों सहित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की। यह अफगानिस्तान की स्थिति की पहली विस्तृत और व्यापक समीक्षा थी, जिसमें काबुल के तालिबान के हाथों में पड़ने के बाद रूस के साथ विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियां शामिल थीं।
Created On :   8 Sept 2021 8:08 PM IST