नक्शा विवाद: नए नक्शे में कोई बदलाव नहीं किया गया- विदेश मंत्रालय
- कालापानी इलाके को लेकर नेपाल ने आपत्ति जताई
- नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने ओली सरकार को किया तलब
- सुगौली संधि के दौरान भारत को दिए गए असली नक्शा पेश करना का आदेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और नेपाल के बीच नक्शा विवाद बढ़ता जा रहा है। अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसपर स्पष्टीकरण दिया है। कहा है कि नए नक्शे में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसमें केवल संप्रभु क्षेत्र को दर्शाया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी। उन्होंने कहा, "नए नक्शे में किसी भी तरीके से नेपाल के साथ हमारी सीमा में कोई बदलाव नहीं किया है।"
कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई
रवीश कुमार ने कहा कि नेपाल के साथ सीमा रेखांकन की प्रक्रिया मौजूदा प्रणाली के तहत है। उन्होंने कहा कि इस मामले में नेपाल की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। बता दें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो नए केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद भारत सरकार ने 31 अक्टूबर को देश का नया नक्शा जारी किया। मैप में कालापानी इलाके को लेकर नेपाल ने आपत्ति जताई है। नेपाल का कहना है कि कालापानी, लिपुलेक और लिम्पियाधुरा क्षेत्र उनके है, लेकिन भारत ने उन्हें नक्शे में अपना हिस्सा दिखाया है।
नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने किया तलब
नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने ओली सरकार को साल 1816 में की गई सुगौली संधि के दौरान भारत को दिए गए मैप की असली प्रति पेश करने को कहा है। कोर्ट ने सरकार को 15 दिन के अंदर नक्शा अदालत में दिखाने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने 1960 में की गई सीमा संधि का नक्शा, ईस्ट इंडिया की तरफ से 1 फरवरी 1927 को प्रकाशित किया गया मैप और ब्रिटिश सरकार द्वारा 1847 में प्रकाशित नक्शा पेश करने को भी कहा है।
क्या है सुगौली संधि?
अंग्रजों और नेपालियों ने 1816 में सुगौली संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के तहत दार्जिलिंग समेत कई नेपाल के क्षेत्र ब्रिटिश ईस्ट इंडिया के हवाले कर दिए थे। इस संधि के तहत नेपाल को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में उस सभी हिस्सों को छोड़ना था, जो नेपाल के राजा ने युद्धों में जीते थे।
Created On :   3 Jan 2020 3:24 AM GMT