लैंडर विक्रम के ऊपर से गुजरेगा नासा का ऑर्बिटर, तस्वीर लेकर करेगा इसरो के साथ शेयर

Nasa’s lunarcraft LRO will take images of Vikram lander today
लैंडर विक्रम के ऊपर से गुजरेगा नासा का ऑर्बिटर, तस्वीर लेकर करेगा इसरो के साथ शेयर
लैंडर विक्रम के ऊपर से गुजरेगा नासा का ऑर्बिटर, तस्वीर लेकर करेगा इसरो के साथ शेयर
हाईलाइट
  • नासा का लूनर ऑर्बिटर 2009 से चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है
  • नासा का लूनर ऑर्बिटर लैंडर विक्रम के ऊपर से गुजरेगा
  • लूनर ऑर्बिटर
  • तस्वीर लेकर इसरो के साथ शेयर करेगा

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। चंद्रयान-2 के लैंडर मॉड्यूल विक्रम के साथ संपर्क स्थापित करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की मदद अमेरिकी स्पेस एजेंसी "नासा" भी कर रही है। मंगलवार को नासा का लूनर ऑर्बिटर चंद्रमा के उस हिस्से के ऊपर से गुजरेगा जहां पर विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई है। ये ऑर्बिटर विक्रम की तस्वीरें लेने की कोशिश करेगा।

नासा का लूनर ऑर्बिटर 2009 से चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है। 17 सितंबर यानी मंगलवार को यह विक्रम की लैंडिंग साइट के ऊपर से गुजरेगा। ऑर्बिटर इस दौरान उस इलाके की तस्वीरें लेगा और उन्हें विश्लेषण के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ साझा करेगा। नासा का लूनर ऑर्बिटर एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे से लैस है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के एक प्रवक्ता ने अमेरिकी दैनिक द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया था कि, "भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के विश्लेषण में मदद करने के लिए नासा विक्रम की लैडिंग साइट की पहले और बाद की तस्वीरें शेयर करेगा।"

इससे पहले एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार ने इसरो के एक वैज्ञानिक के हवाले से बताया था कि इसरो के डीप स्पेस नेटवर्क में मौजूद 32-मीटर एंटीने के अलावा नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के 70-मीटर के एंटीने की मदद से विक्रम से संपर्क करने की कोशिश की गई है। लेकिन विक्रम से कोई सिग्नल नहीं मिला।

जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के डीप स्पेस नेटवर्क के ग्राउंड स्टेशन गोल्डस्टोन, दक्षिण कैलिफोर्निया (यूएस), मैड्रिड (स्पेन) और कैनबरा (ऑस्ट्रेलिया) में हैं। इन स्टेशनों का लक्ष्य किसी भी उपग्रह के साथ डीप स्पेस में संपर्क स्थापित करना है। प्रत्येक साइट में न्यूनतम चार एंटीना हैं, 25 मीटर से 70 मीटर व्यास तक। ये एंटीना एक ही समय में कई उपग्रहों के साथ निरंतर रेडियो कम्यूनिकेशन स्थापित करने में सक्षम हैं।

इसरो, लैंडर विक्रम की फ्रिक्वेंसी पर हर दिन अलग-अलग कमांड भेज रहा है। इसके अलावा ऑर्बिटर की मदद से भी लैंडर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। विक्रम पर तीन ट्रांसपोंडर और एक फेस्ड अरे एंटीना लगा हुआ है। लैंडर को सिग्नल रिसीव करने, इसे समझने और वापस भेजने के लिए इनका उपयोग करना होगा। विक्रम का ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूटे 8 दिनों से ज्यादा का वक्त हो गया है।

इसरो के प्री-लॉन्च अनुमानों के अनुसार, लैंडर केवल एक चंद्र दिन (पृथ्वी के 14 दिन) के लिए सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर सकता है। इसलिए इसरो इन 14 दिनों (21 सितंबर) तक विक्रम से संपर्क की कोशिश करता रह सकता है। 14 दिनों के बाद ठंड की एक लंबी रात होगी, जिसके बाद लैंडर के सिस्टम के ठीक तरह से काम करने की संभावना ना के बराबर है।

Created On :   16 Sept 2019 11:25 PM IST

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