मोदी सरकार जल्द ला सकती है समान नागरिक संहिता, संसद में कभी भी पेश हो सकता है बिल

Modi government can bring uniform civil code, bill may be introduced in Parliament soon
मोदी सरकार जल्द ला सकती है समान नागरिक संहिता, संसद में कभी भी पेश हो सकता है बिल
नई दिल्ली मोदी सरकार जल्द ला सकती है समान नागरिक संहिता, संसद में कभी भी पेश हो सकता है बिल
हाईलाइट
  • केंद्रीय बिल आने वाले समय में किसी भी समय संसद में पेश किया जा सकता है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द ही देश के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता कानून लाने के मूड में है। केंद्र सरकार ने इसको लेकर तैयारी भी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि इस कानून के लिए संसद में कभी भी बिल पेश किया जा सकता है।

खबरों के मुताबिक, इस कानून के परीक्षण के लिए उत्तराखंड में कानून बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। जिसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है। जानकारी के मुताबिक इस कमेटी के लिए ड्राफ्ट निर्देश बिंदु केंद्रीय कानून मंत्रालय ने ही दिए हैं। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि कानून का ड्राफ्ट केंद्र सरकार के पास बना हुआ है। 

सरकार के सूत्रों के मुताबिक राज्यों में बने नागरिक संहिता के कानूनों को बाद में केंद्रीय कानूनों में जोड़ दिया जाएगा। इसके पीछे की वजह है कि एक समानता लाने के लिए कानून का केंद्रीय होना जरूरी है। जानकारों के मुताबिक, यह कानून राज्यों में परीक्षण के तौर पर बनवाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह पहला मौका होगा, जब सरकार इस कानून के लाने के बारे में इतनी स्पष्टता से कहा है। सूत्रों के मुताबिक कानून अवश्य आएगा, लेकिन कब और किस समय आएगा यही सवाल बना हुआ है। 

क्यों बनाई जा रही हैं राज्य स्तर पर कमेटी?

गौरतलब है कि सरकार की मंशा थी कि समान नागरिक संहिता पर राष्ट्रीय विधि आयोग से भी रिपोर्ट ले ली जाए, लेकिन विधि आयोग के 2020 में पुनर्गठन होने के बावजूद एक्टिव नहीं होने के कारण राज्य स्तर पर कमेटियां बनाई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि कमेटी का स्वरूप विधि आयोग की ही तरह होगा। इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रंजना देसाई, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज प्रमोद कोहली, पूर्व आईएएस शत्रुघ्न सिंह और दून विविव की वीसी सुरेखा डंगवाल शामिल हैं। 

इन राज्यों में भी बन सकती है कमेटी

केंद्र सरकार की तरफ से समान नागरिक संहिता लाने की कवायद तेज होती दिख रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार की मंशा पर मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में कमेटी का गठन होने की संभावना है। ये राज्य समान नागरिक संहिता के लिए पहली से पहल कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक कमेटी गठन के संबंध में बिन्दु केंद्र सरकार ने दिए हैं। 

थोड़ा एडजस्ट करना पड़ेगा

हिंदुस्तान लाइव के मुताबिक, जब यह सवाल किया गया कि आदिवासियों के लिए समान नागरिक संहिता कानून को कैसे लागू करेंगे। क्योंकि उनके लिए अगल रीति-रिवाज होते हैं। देश में करीब 10 से 12 करोड़ आदिवासी रहते हैं। जिनमें 12 फीसदी के आसपास पूर्वात्तर भारत में रहते हैं। इस पर सूत्रों ने कहा कि एक देश के रूप में आगे बढ़ना है तो थोड़ा एडजस्ट करना होगा। 

कानून मंत्री 

कानून मंत्री किरण रिजीजू ने कहा कि समान नागरिक संहिता लाना भाजपा के मुख्य एजेंडों में से एक रहा है और बीजेपी सरकार हर हाल में पूरा करने के प्रयास में है। इस बारे में तैयारी चल रही है, यह कानून जरूर लाया जाएगा। इससे साफ हो चुका है कि सरकार संसद सत्र में कभी इस कानून को लेकर बिल पेश कर सकती है। 
 

क्या है समान नागरिक संहिता

भारतीय संविधान के भाग -4 राज्य के नीति निर्देशक निदेशक तत्व के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत इसका वर्णन है! अनुच्छेद 44 के अनुसार राज्य भारत के समस्त राज्य क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्रदान करने का प्रयास करेगा। समान नागरिक संहिता से देश में सभी नागरिकों के लिए विवाह, विवाह की उम्र, तलाक, पोषण भत्ता, उत्तराधिकार, सह-अभिभावकत्व, बच्चों की कस्टडी, विरासत, परिवारिक संपत्ति का बंटवारा, वसीयत, चैरिटी-दान आदि पर एक समान कानून हो जाएगा चाहे वे किसी भी धर्म या संप्रदाय या मत से हों।

Created On :   29 May 2022 2:54 AM GMT

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