आइए जानिए समझिए भारत में आखिरकार क्यों पैदा होती है या बनाई जाती है बिजली संकट की समस्या!
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- कोयला कुप्रबंधन से आती है समस्या
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली, आनंद जोनवार। देश में कार्यरत सैकड़ों बिजली संयंत्र इतनी बिजली पैदा कर सकते है कि किसी भी दूसरे देश को निर्यात की जा सकती है, लेकिन बढ़ती तपती गर्मी में बिजली संकट की समस्या सामने आने की खबरें आने लगती हैं। शहर हो या गांव हर जगह कई घंटों की बिजली कटौती से लोग परेशान होने लगते हैं और सड़क पर आ जाते हैं, लेकिन जिम्मेदार लोग और सरकार इस बात को मानने के लिए राजी नहीं होती, और मुद्दा सामाजिक कृत्रिम पीड़ा के बजाय राजनैतिक हो जाता है। एक दल दूसरे दल पर जिम्मेदारी का बोझ डालते हुए आरोप लगाने में लग जाते है, वहीं मौजूदा सरकारें समस्या का समाधान करने का आश्वासन देने में जुट जाती है, लेकिन कोई भी संकट के वास्तविक कारणों को जनता के सामने नहीं रखता।
आपको बता दें भारत के बिजली घरों में बिजली तीन स्तरों से संचालित होती है, केंद्र सरकार,राज्य और निजी कंपनी। ज्यादातर बिजली संयंत्रों को सरकार ने निजी कंपनियों को दे दिया है। हमारे देश की ज्यादातर कोल खदानों को कोल इंडिया चलाती है। या फिर कोल इंडिया ने किसी अन्य छोटी कंपनी को लीज पर दे दिया है।
देश के कोने कोने से आई खबरों के पीछे जाकर हमने इस बात का पता लगाने की कोशिश की आखिरकार बिजली कमी की समस्या अचानक क्यों तेज उठने लगती है, जो घरों की देहरी को चीरते हुए समाचारों की स्क्रीन से होते हुए सरकार की दहलीज पर आ बैठती है। हमने संकट को समझा और उससे जुडी कुछ पड़ताल की तब पता चला है कि राजनेताओं के बयानों और सरकार के प्रबंधन में ही समस्या का समाधान छुपा है।
आपने समय समय पर कई नेताओं, राज्य सरकार, ताप संयंत्रों को ये कहते हुए सुना होगा कि हमारे पास इतने दिनों का कोयला बचा है। ये बयान ही बिजली संकट को बयां कर देता है। यदि आपके पास दस दिनों से अधिक का कोयला स्टॉक नहीं है तब वहां बिजली संकट की समस्या है। वैसे ये स्टॉक 18 दिनों तक होना चाहिए। केंद्र सरकार स्टॉक बढ़ाने के लिए कई तरह को उपाय अपनाती है। अबकी बार बिजलीघरों में भारी कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने सैकड़ों यात्री रेलगाड़ियों को रद्द कर कोयला आपूर्ति को समय पर पहुंचाने पर जोर दिया। केंद्र सरकार ने कहा कि जल्दी ही कोयला पावर प्लांट्स के स्टॉक में भिजवा दिया जाएगा। हालांकि विपक्ष ने ट्रेन रद्दों को देश की आर्थिक व्यवस्था के लिए नुकसानदायक बताया।
अत्यधिक गर्मी के कारण बिजली की माँग बढ़ गई है। पिछले वर्ष की अपेक्षा अब माँग बहुत ज़्यादा है।
ऊर्जा विभाग में कार्यरत सभी भाई-बहनों से निवेदन है कि इस चुनौतीपूर्ण समय में जनता की सेवा के लिए रात-दिन सजग, तत्पर एवं उपलब्ध रहें।
शुभकामना।@BJP4UP @UPPCLLKO @myogiadityanath
— A K Sharma (@aksharmaBharat) April 26, 2022
राजस्थान
कोटा के एक अस्पताल में टॉर्च की रोशनी में दवाई देती नर्स तपते राजस्थान में बनी बिजली संकट की समस्या कोई राजस्थान तक की सीमित नहीं है, वो उत्तरप्रदेश , उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, मध्यप्रदेश, गुजरात, आंध्रप्रदेश, गोवा और कर्नाटक में भी है।
उत्तराखंड
जिस राज्य से पूरे देश में बिजली आपूर्ति की जाती है। उस पहाड़ी राज्य में भी कई घंटों बिजली की कटौती की जा रही है। बिजली की सप्लाई इतनी कम कर दी है कि गांवों के साथ साथ शहरों में भी बिजली आपूर्ति ठीक ठाक नहीं हो रही है।
हरियाणा राज्य के कई गांवों के लोगों ने बिजली समस्या से जूझते हुए सड़क पर प्रदर्शन किया, वहां बिजली की समस्या को तो सीएम खट्टर खुद स्वीकार कर चुके है।
हमारी सरकार प्रदेश में आ रही बिजली समस्या को जल्द दूर करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
आज दिल्ली में केन्द्रीय बिजली मंत्री श्री @RajKSinghIndia जी के साथ इस विषय पर बैठक में सहमति बनी कि कामेंग हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना से 300 मेगावाट की आपूर्ति हरियाणा को की जाएगी। pic.twitter.com/eYQnMKMWSQ
— Manohar Lal (@mlkhattar) April 29, 2022
दिल्ली में बिजली की त्राही त्राही
राष्ट्र की राजधानी जहां से पूरे देश चलता है, गर्मी के बढ़ते पारे के साथ वहां के एसी ठंडे पड़े तो राजनेता, अफसरों के साथ आम लोग भी परेशान होने लगे। और चारों ओर बिजली संकट पर त्राही त्राही मचने लगी। जिसने पूरे देश में बिजली नहीं तो जीवन नहीं का संदेश तक दे डाला।
मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में हो रही कटौती को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर बिजली संकट, जल संकट, और कोयला संकट से जुड़े झूठे आंकड़े पेश करने का आरोप लगाया। इसके बाद सूबे के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कर कोयला आपूर्ति बढ़ाने की मांग की। भोपाल में सीएम शिवराज सिंह चौहान के एक कार्यक्रम के दौरान बिजली चली गई, जब वो भाषण दे रहे थे, तब मुख्यमंत्री ने मुस्कुराते हुए कोयले संकट की बात स्वीकार की थी।
पहले तो मध्यप्रदेश में बिजली संकट ,कोयले की कमी और अघोषित विद्युत कटौती से ही जिम्मेदार इनकार करते रहे और अब कई दिनो बाद शिवराज सरकार नींद से जागी और अब ख़ुद शिवराज जी स्वीकार रहे है कि प्रदेश में बिजली का संकट है ,पर्याप्त आपूर्ति नही है ,कोयले का भी संकट है,
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 1, 2021
आयात से आपूर्ति – बंदरगाहों पर कोयला जहाज़ से पहुंचता है। जहां से कोयला मालगाड़ी के जरिए बिजली संयंत्रों में पहुंचता है।
उक्त दोनों कारणों से ये तय होता है कि हमारे पास कितने दिनों तक का कोयला बचा है। बिजली संकट पर केवल केंद्र सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, उसके लिए राज्य सरकारें भी उतनी ही जिम्मेदार है क्योंकि राजनीति चमकाने के चक्कर में राज्य सरकार और राजनैतिक दल मुफ्त में बिजली बांट देने के तमाम वादा करते है।
Created On :   3 May 2022 1:49 PM IST