कर्मयोगी स्व. अटल जी ने सिखाया शुचिता और सुशासन का पाठ

Karma Yogi himself Atal ji taught the lesson of purity and good governance
कर्मयोगी स्व. अटल जी ने सिखाया शुचिता और सुशासन का पाठ
जन्मजयंती कर्मयोगी स्व. अटल जी ने सिखाया शुचिता और सुशासन का पाठ
हाईलाइट
  • तपस्वी की भांति ही जिया राजनीतिक जीवन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हम सभी के आदर्श, पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न  स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी सदैव एक बात कहते थे- सत्ता सुख भोगने का का स्थान नहीं है, यह राष्ट्र निर्माण के लिए जिम्मेदारी भरा दायित्व है। भारतीय राजनीति में शुचिता एवं सुशासन की पुनर्स्थापना का श्रेय यदि किसी को दिया जा सकता है तो वे हमारे श्रद्धेय स्व. अटल जी ही हैं। उन्होंने राजनीतिक जीवन भी किसी तपस्वी  की भांति ही जिया है, वे सच्चे मायनों में कर्मयोगी थी। अपने विशाल उदार व्यक्तित्व के कारण वे भारत की राजनीति में दलों से ऊपर सर्वमान्य नेता के रूप में सदैव स्मररण किए जाते रहेंगे। 

अटल सुशासन

वे राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित मां भारती के ऐसे लाल थे, जिनका अवदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। इसीलिए आज राष्ट्र नवनिर्माण की नीव धरने वाले युगप्रवर्तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी  के जन्मदिवस को संपूर्ण राष्ट्र ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाता है। स्व. अटल जी के हाथों से 21 वीं सदी के जिस उदीयमान भारत की नींव रखी गई थी, आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि उसी नींव पर हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी ‘आत्मनिर्भर भारत‘ की सशक्त इमारत खड़ी कर रहे हैं। 

अटल एक दूरगामी सोच

अटल जी ने अपने दीर्घकालीन सामाजिक-राजनीतिक जीवन में अनेक अवसरों पर राजनीतिक शुचिता एवं सिद्धांतों के उदाहरण प्रस्तुत किए जो भावी पीढ़ी के लिए अनुकरणीय बन गए हैं। उनके निर्णयों में दूरगामी सोच स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती थी। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से बुना गया सड़कों का नेटवर्क ग्रामीण भारत की वे धमनियां हैं जहां आज विकास का रक्त बह रहा है। अटल जी ने ही सर्वप्रथम कृषि सुधारों के बारे में सोचा एवं राष्ट्रीय किसान आयोग की स्थापना की। किसानों को क्रेडिट कार्ड प्रदान करने का उनका नवाचार वर्तमान में किसानों के लिए बहुत बड़ा सहारा है। उनके काल में उठाए गए आर्थिक सुधारों के माध्यम से भारतीय अर्थ व्यवस्था को एक नई गति मिली।

शुचिता एवं सुशासन का दिया मंत्र

आज भारत में टेक्नोलॉजी का जो युग है, उसकी आधारशिला भी अटलजी ने ही रखी थी। नदियों को जोड़ने की उनकी दूरगामी सोच अब जमीन पर परिलक्षित होने लगी है। हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के  नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट ने केन-बेतवा लिंक परियोजना को मंजूरी देकर बुंदेलखंड अंचल को नवजीवन एवं विकास का प्रवाह प्रदान किया है। पोखरण विस्फोट के माध्यम से भारत को परमाणुशक्ति संपन्न राष्ट्र के रूप स्थापित करने के अटल जी के साहसिक कदम का ही परिणाम है कि आज हमारा देश वैश्विक शक्तियों में शुमार होता है। चाहे दूरसंचार क्रांति हो या राष्ट्रीय राजमार्ग की स्वर्णिम चतुर्भुज योजना,  अटल जी का प्रत्येक कदम आने वाले कई दशकों के नए भारत की नींव रखने वाला था। उनके कार्यकाल में यह सब संभव हो पाया तो उसके पीछे एक सिर्फ एक ही मूल मंत्र था, शुचिता एवं सुशासन। 

मोदी कार्यशैली में वाजपेयी  के दर्शन

विगत साढ़े सात वर्षों में मुझे हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ सतत कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ है। मोदी  की कार्यशैली में मुझे समग्रता से स्व. अटल बिहारी वाजपेयी  के दर्शन होते हैं। अपने एक आलेख में नरेन्द्र मोदी ने अटल जी का पुण्य स्मरण करते हुए लिखा है- ‘हमारे देश में अनेक ऋषि, मुनि, संत आत्माओं ने जन्म लिया है। देश की आजादी से लेकर आज तक की विकास यात्रा के लिए भी असंख्य लोगों ने अपना जीवन समर्पित किया है। लेकिन स्वतंत्रता के बाद लोकतंत्र की रक्षा और 21वीं सदी के सशक्त, सुरक्षित भारत के लिए अटल जी ने जो किया, वह अभूतपूर्व है।

अटल आंखों से देखे गए सपनों को मोदी कर रहे है साकार

सुशासन, पारदर्शिता एवं दूरगामी सोच के साथ एक प्रभावी नेतृत्व देते हुए नरेन्द्र मोदी उन्हीं सपनों को साकार कर रहे हैं, जिन्हें अटल जी की आंखों से देखा गया था। प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से हर गरीब के सिर पर अपनी छत, उज्जवला योजना से माताओं को धुंए से मुक्ति दिलाती रसोई गैस, स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर में शौचालय, हर गरीब का जनधन खाता और डीबीटी के पारदर्शी माध्यम से प्रत्येक योजना की राशि का अंतरण, किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा और एक लाख करोड़ रूपए के कृषि अवसंरचना कोष से गांवों में एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण जैसे सैंकड़ों कदम हैं, जो आज मोदी के नेतृत्व में सशक्त एवं आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर रहे हैं। पूर्व पीएम स्व श्री अटल के हाथों सर्व शिक्षा अभियान के रूप में भारत की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के जो सूत्र रोप गए थे, प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के नेतृत्व में आई नवीन शिक्षा नीति में वे स्पष्ट नजर आते हैं। जम्मू-कश्मीर को धारा 370 से मुक्ति, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण, मुस्लिम बहनों को तीन तलाक से आजादी जैसे असंभव लगने वाले कार्य भी प्रधानमंत्री मोदी ने संभव कर दिखाएं है और इसके पीछे की प्रेरणा में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी  हैं। 

राष्ट्र सर्वोपरि की अटल भावना

अटल जी की सर्वमान्यता का एक प्रसंग मुझे अक्सर याद आता है। 1994 में उन्हें भारत का सर्वश्रेष्ठ सांसद तब चुना गया जबकि देश में स्व. नरसिंहाराव जी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी और अटल जी नेता प्रतिपक्ष थे। इसी वर्ष स्व.नरसिंहाराव ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार आयोग में पाकिस्तान द्वारा लगाए गए मानवाधिकार हनन के झूठे आरोपों का जवाब देने के लिए भी अटल जी के नेतृत्व में ही एक दल भेजा था। दलों की दहलीज से उपर, राष्ट्र सर्वोपरि की भावना से भारत की ओर से दिए गए सशक्त जवाब के कारण ही पाकिस्तान को अपना आरोप वापस लेना पड़ा। अटल जी भाजपा के कार्यकर्ता  थे, लेकिन नेता संपूर्ण राष्ट्र के थे। 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 32 वें अधिवेशन में अटल जी का हिंदी में दिया गया भाषण सदैव हम सभी के लिए राष्ट्र गौरव-राष्ट्रभाषा गौरव के मंत्र के रूप में याद रहेगा। 

अटल एक महान प्रेरणा

अटल जी जैसे महान व्यक्तित्व सदियों में कभी पैदा होते हैं। कवि हृदय, धाराप्रभाव वक्ता, विचारवान लेखक, धारदार पत्रकार, भावुक जननायक, संगठन के शिल्पी एवं नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण अटल जी संपूर्ण व्यक्तित्व थे। ग्वालियर और वहां के लोग सदैव उनके हृदय में बसते थे। मेरा यह सौभाग्य रहा कि मुझे सदैव उनसे स्नेह एवं मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। संगठन के लिए किस तरह कार्य करना है, इसकी प्रेरणा वे सदैव मुझे देते थे। समाजसेवा एवं राजनीति में उनके सिखाए पाठ ही हमेशा मेरे काम आए। भारत मां के ऐसे सच्चे सपूत को मैं उनकी जन्मजयंती पर सादर नमन करता हूं।

नोट-पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्‍मजयंती पर यह विशेष आलेख केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की कलम से लिखा गया है।

Created On :   25 Dec 2021 6:57 AM GMT

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