जज ने दी दलित छात्रा की फीस, आईआईटी को दाखिले का दिया आदेश
- न्यायाधीश ने 15 हजार रुपये देकर दरियादिली दिखाई
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) के माध्यम से आईआईटी (बीएचयू) में एक सीट के आवंटन के लिए फीस जमा नहीं करने वाली एक गरीब दलित छात्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के एक न्यायाधीश ने 15 हजार रुपये देकर दरियादिली दिखाई। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण और आईआईटी (बीएचयू) को छात्र को गणित और कंप्यूटिंग (पांच वर्षीय, स्नातक और प्रौद्योगिकी के मास्टर, दोहरी डिग्री) पाठ्यक्रम में प्रवेश देने का निर्देश दिया।
पीठ ने बीएचयू को यह भी निर्देश दिया कि अगर कोई सीट खाली नहीं है तो दलित छात्रा के लिए एक अतिरिक्त सीट बनाई जाए। पीठ ने छात्रा को प्रवेश के लिए आवश्यक दस्तावेजों के साथ तीन दिनों के भीतर बीएचयू में रिपोर्ट करने को कहा। पीठ ने उपरोक्त आदेश छात्रा संस्कृति रंजन द्वारा सोमवार को व्यक्तिगत रूप से दायर एक याचिका पर पारित किया। उसने पीठ से अनुरोध किया था कि संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण और आईआईटी (बीएचयू) को उसे 15,000 रुपये की फीस जमा करने के लिए समय देने का निर्देश दिया जाए।
उसने याचिका में दलील दी थी कि वह अनुसूचित जाति वर्ग से है। हाईस्कूल में उसने 95.6 फीसदी और इंटर में 94 फीसदी अंक हासिल किए थे। वह आईआईटी में चयन के लिए जेईई में शामिल हुई थी। वह परीक्षा पास करने में सफल रही थी। उसने जेईई मेन परीक्षा में 92.77 प्रतिशत अंक हासिल किए और एससी श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में 2062वीं रैंक हासिल की। इसके बाद, याचिकाकर्ता ने 16 सितंबर, 2021 को जेईई एडवांस के लिए आवेदन किया था और 15 अक्टूबर, 2021 को अनुसूचित जाति वर्ग में 1,469 रैंक के साथ इसे पास किया था।
याचिकाकर्ता को काउंसलिंग में आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी में गणित और कंप्यूटिंग (पांच वर्षीय, स्नातक और प्रौद्योगिकी दोहरी डिग्री के मास्टर) के लिए एक सीट आवंटित की गई थी। हालांकि, वह निर्धारित तिथि से पहले भुगतान करने के लिए 15,000 रुपये की फीस की व्यवस्था नहीं कर सकी। मामले की अजीबोगरीब परिस्थितियों को देखते हुए, न्यायाधीश ने खुद छात्रा को 15,000 रुपये दिया और अपने आदेश में सुनिश्चित किया कि उसे अगले तीन दिनों के भीतर आईआईटी (बीएचयू) में प्रवेश दिया जाए।
(आईएएनएस)
Created On :   30 Nov 2021 11:00 AM IST