'इंडिया 2020' पर ISRO साइंटिस्ट डॉ राजन बोले- पहले सही चले, अब आपस में ही लड़ रहे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न ए पी जे अब्दुल कलाम ने 1998 में एक किताब ‘इंडिया 2020’ लिखी थी। इसमें उन्होंने 2020 के भारत की कल्पना की थी। यह किताब बेहद लोकप्रिय हुई। इसमें डॉ. कलाम के साथ इसरो के पूर्व साइंटिस्ट डॉ वाई एस राजन भी थे। उन्होंने किताब "इंडिया 2020," डॉ कलाम और सरकार के नजरिए पर अपने अनुभव दैनिक भास्कर से साझा किए।
राजन बताते हैं कि "दुनिया, खासतौर पर चीन तेजी से भाग रहा था। भारत भी आगे बढ़ा, लेकिन अच्छे जीवन और समृद्धि पर नजर पड़ते ही हम शिथिल हो गए। इससे भी बदतर यह हुआ कि हम दिशा से भटक गए और आपस में ही लड़ने-झगड़ने लगे। इसमें कुछ कीमती साल गंवा दिए। आज के दौर में ग्रामीण आबादी तक शहरों में मिलने वाली जरूरी सुविधाएं पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती है। यह पूरी होने पर अमीर-गरीब, शहरी-ग्रामीण के बीच की खाई को पाट देगी।"
डॉ राजन ने कहा कि "हम तय काम पूरा करने में पूरा जोर लगा देते हैं। यह अच्छा है, लेकिन लगातार प्रयास का अभ्यास हमारे स्वभाव में नहीं है। गांवों में विकास के लिए लगातार 10 साल बिना रुके, बिना थके प्रयास करते रहना पड़ेगा, तब कहीं जाकर रोजगार बढ़ेंगे। रोजगार की सबसे ज्यादा संभावनाएं रूरल बेस्ड मॉडर्न इंडस्ट्री में ही हैं। भारत पोलियोमुक्त घोषित हुआ तो जश्न मनाना था। मंगलयान की लॉन्चिंग के वक्त पूरा देश खुश था। इससे पता चलता है कि लोग जीवन सुधारने से जुड़ीं चीजों के बजाय गर्व करने वाली घटनाओं को ज्यादा तवज्जो देते हैं।"
"किसानों को सब्सिडी तो दे दी, पर सशक्त नहीं बनाया"
डॉ राजन ने बताया कि "देश में गरीबी तभी खत्म होगी जब किसान और खेती मजदूर अच्छी कमाई कर सकें। खेती में 25% आदमी को कम कर उन्हें कोई और काम देना था। कृषि में लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ानी थी। ये लोग इसमें आ जाते। एग्रो प्रोसेसिंग में आगे बढ़ते तो किसानों को कमाई का नया जरिया मिल जाता। हमने सब्सिडी तो दे दी, लेकिन किसानों को सशक्त बनाने के उपाय नहीं सुझाए। इस वजह से किसान पूरी तरह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाया।"
Created On :   31 Dec 2019 9:32 AM IST