राजेंद्र बाबू ने भोजपुरी में पत्र लिखकर परिवार से मांगी थी देश सेवा की अनुमति, ख़त पढ़कर रो पड़े थे बड़े भाई

Interesting anecdotes on the 137th birth anniversary of Indias first President Rajendra Prasad
राजेंद्र बाबू ने भोजपुरी में पत्र लिखकर परिवार से मांगी थी देश सेवा की अनुमति, ख़त पढ़कर रो पड़े थे बड़े भाई
संविधान की रुपरेखा तैयार करने वाले  राजेंद्र बाबू ने भोजपुरी में पत्र लिखकर परिवार से मांगी थी देश सेवा की अनुमति, ख़त पढ़कर रो पड़े थे बड़े भाई
हाईलाइट
  • 13 साल की उम्र में राजवंशी देवी से राजेंद्र प्रसाद की हुई थी शादी
  • राजेंद्र बाबू का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार में हुआ था

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। 3 दिसंबर 2021 को भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की 137 वीं जयंती मनाई जा रही है। इस खास मौके पर "देश रत्न कॉन्क्लेव" का आयोजन किया जा रहा है, जो कि नई दिल्ली में आयोजित होगा। संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राजेंद्र बाबू पढ़ने में बहुत होनहार थे। उनके परिवार का कहना है कि, राजेंद्र प्रसाद ने संविधान की रुपरेखा तैयार की फिर भी लोगों ने उन्हें वो सम्मान नहीं दिया, जिसके वो हकदार थे। उनसे ज्यादा दूसरों को सम्मान दिया गया।

आज उनके जन्म दिवस पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से सुनाएंगे। 

राजेंद्र बाबू का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के जीरादेई नाम के गाँव में हुआ था, जो अब सिवान ज़िले में है। बचपन से पढ़ाई में होनहार रहने वाले राजेंद्र प्रसाद की शादी मात्र 13 साल की उम्र में राजवंशी देवी से हो गई थी। उनकी पढ़ाई से हर कोई प्रभावित था।

अपनी पत्नी राजवंशी देवी के साथ डॉ राजेंद्र प्रसाद.

टीचर ने की थी तारीफ
राजेंद्र प्रसाद अपनी कक्षा में सबसे होशियार छात्र थे। उन्हें एक बेहतरीन स्टूडेंट माना जाता था। अपनी आत्मकथा लिखने वाले राजेंद्र प्रसाद की एग्जाम कॉपी जब उनके टीचर चेक कर रहे थे तो, उन्हें वो कॉपी देखकर बहुत खुशी हुई और एग्जामिनर ने कहा, "The Examinee is better than Examiner"। ये बात शायद ही किसी एग्जामिनर ने किसी विद्यार्थी के लिए कभी कही होगी। बता दें कि, राजेंद्र प्रसाद ने कई किताबें भी लिखी है, जिनमें "इंडिया डिवाइडेड", "सत्याग्रह ऐट चम्पारण", "बापू के कदमों में बाबू" और "गांधीजी की देन" शामिल है।

देश सेवा के लिए भोजपुरी में लिखा था पत्र
बिहार की पावन भूमि में जन्में राजेंद्र बाबू ने अपनी आत्मकथा में इस बात का खुलासा किया है कि,आखिर क्यों उन्हें देश की सेवा करने का ख्याल आया। दरअसल, राजेंद्र प्रसाद के अनुसार, गोपाल कृष्ण गोखले से मुलाकात करने के बाद वो आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए बेचैन हो गए। लेकिन, पारिवारिक जिम्मेदारियों ने उन्हें जकड़ रखा था। काफी सोचने के बाद राजेंद्र बाबू ने अपने बड़े भाई महेंद्र प्रसाद और पत्नी राजवंशी देवी को भोजपुरी में एक पत्र लिखा और देश सेवा करने की अनुमति मांगी। उनका ये पत्र पढ़कर बड़े भाई महेंद्र रो पड़े और सोचने लगे की छोटे भाई को क्या जवाब दूं। अंत में सहमति मिलने के बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्रता आंदोलन में उतरे। 

राजेंद्र प्रसाद

कैसे तैयार हुआ संविधान

  • संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई।
  • 11 दिसम्बर 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष चुने गये।
  • सभा की कार्यवाही 13 दिसम्बर 1946 से शुरू हुई।
  • संविधान निर्माण के पूरे प्रोसेस में कुल 2 साल, 11 महीनें और 18 दिन का समय लगा और 6.4 करोड़ रुपये खर्च हुए।
  • संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई और इसी दिन संविधान सभा द्वारा डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति बनाया गया।
  • संविधान निर्माण में डॉक्टर बाबू की अहम भूमिका रही लेकिन, चर्चा नहीं की गई।
क्या कहती है डॉक्टर की पोती?
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की पोती तारा सिन्हा कहती है कि, राजेंद्र प्रसाद ने संविधान की रुपरेखा तैयार की। संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। फिर भी उन्हें वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे और आज भी इस बात पर कोई चर्चा नहीं होती है। रिटायर होने के बाद राजेंद्र बाबू ने अपना आखिरी समय पटना के सदाक़त आश्रम में बिताया और 28 फरवरी, 1963 को इस दुनिया से विदा ले लिया। 


 

Created On :   2 Dec 2021 5:11 PM IST

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