भारत दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाला तीसरा देश- रिपोर्ट
- भारत का 76.6 अरब डॉलर का सैन्य खर्च दुनिया में तीसरे स्थान पर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्वीडन स्थित थिंक टैंक- स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत का 76.6 अरब डॉलर का सैन्य खर्च दुनिया में तीसरे स्थान पर है, इसके पहले अमेरिका और चीन का स्थान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का सैन्य खर्च 2020 से 0.9 प्रतिशत और 2012 से 33 प्रतिशत बढ़ा है। स्वदेशी हथियार उद्योग को मजबूत करने के लिए 2021 के सैन्य बजट में पूंजी परिव्यय 64 प्रतिशत निर्धारित किया गया था।
भारत दो मोर्चो पर युद्ध के खतरे का सामना कर रहा है - चीन और पाकिस्तान से। भारत 2020 से चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा विवाद सुलझाने में लगा हुआ है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2021 में कुल वैश्विक सैन्य खर्च वास्तविक रूप से 0.7 प्रतिशत बढ़कर 2,113 अरब डॉलर हो गया है। वैश्विक सैन्य खर्च के नए आंकड़ों के अनुसार, इसमें कहा गया है कि 2021 में पांच सबसे बड़े खर्च करने वाले देश अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन और रूस थे। इन देशों का कुल सैन्य खर्च 62 प्रतिशत था।
2021 में विश्व सैन्य खर्च बढ़ता रहा, जो 2.1 खरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह लगातार सातवां वर्ष था, जब खर्च में वृद्धि हुई। एसआईपीआरआई के सैन्य व्यय और शस्त्र उत्पादन कार्यक्रम के वरिष्ठ शोधकर्ता डिएगो लोप्स दा सिल्वा ने कहा, कोविड-19 महामारी के आर्थिक नतीजों के बीच भी, विश्व सैन्य खर्च रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। मुद्रास्फीति के कारण वास्तविक विकास दर में मंदी थी। मामूली शब्दों में, हालांकि सैन्य खर्च में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
2021 में तेज आर्थिक सुधार के परिणामस्वरूप, वैश्विक सैन्य बोझ - विश्व सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के हिस्से के रूप में विश्व सैन्य व्यय 0.1 प्रतिशत अंक गिर गया, 2020 में 2.3 प्रतिशत से 2021 में 2.2 प्रतिशत हो गया। साल 2021 में अमेरिकी सैन्य खर्च की राशि 801 अरब डॉलर थी, इसमें 2020 से 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई। अमेरिकी सैन्य बोझ 2020 में सकल घरेलू उत्पाद के 3.7 प्रतिशत से थोड़ा कम होकर 2021 में 3.5 प्रतिशत हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है, 2012 और 2021 के बीच सैन्य अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) के लिए अमेरिकी वित्त पोषण में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि हथियारों की खरीद के वित्त पोषण में इसी अवधि में 6.4 प्रतिशत की गिरावट आई। 2021 में दोनों पर खर्च में कमी आई। हालांकि, आर एंड डी खर्च में गिरावट (-1.2 फीसदी) हथियार खरीद खर्च (-5.4 फीसदी) से कम था।
एसआईपीआरआई के सैन्य खर्च और शस्त्र उत्पादन कार्यक्रम के शोधकर्ता एलेक्जेंड्रा मार्कस्टीनर ने कहा, 2012-21 के दशक में आर एंड डी खर्च में वृद्धि से पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। अमेरिकी सरकार ने सामरिक प्रतिस्पर्धियों पर अमेरिकी सेना की तकनीकी बढ़त को बनाए रखने की जरूरत पर बार-बार जोर दिया है।
रूस ने 2021 में अपने सैन्य खर्च को 2.9 प्रतिशत बढ़ाकर 65.9 अरब डॉलर कर दिया, जब वह यूक्रेनी सीमा पर अपनी सेना का निर्माण कर रहा था। यह वृद्धि का लगातार तीसरा वर्ष था और 2021 में रूस का सैन्य खर्च जीडीपी के 4.1 प्रतिशत तक पहुंच गया। चूंकि इसने रूस के खिलाफ अपने बचाव को मजबूत किया है, 2014 में क्रीमिया के कब्जे के बाद से यूक्रेन के सैन्य खर्च में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। खर्च 2021 में घटकर 5.9 अरब डॉलर हो गया, फिर भी यह देश के सकल घरेलू उत्पाद का 3.2 प्रतिशत है।
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े खर्च करने वाले चीन ने 2021 में अपनी सेना को अनुमानित 293 अरब डॉलर आवंटित किए, जो 2020 की तुलना में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि है। चीन का सैन्य खर्च 27 वर्षो से लगातार बढ़ता रहा है। 2021 में चीन का बजट 14वीं पंचवर्षीय योजना के तहत पहला था, जो 2025 तक के लिए है।
(आईएएनएस)
Created On :   25 April 2022 7:00 PM IST