ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि जामताड़ा कैसे बन गई साइबर क्राइम कैपिटल?

How did Ishwar Chandra Vidyasagars Karmabhoomi Jamtara become a cyber crime capital?
ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि जामताड़ा कैसे बन गई साइबर क्राइम कैपिटल?
झारखंड ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि जामताड़ा कैसे बन गई साइबर क्राइम कैपिटल?
हाईलाइट
  • ठगी की कमाई

डिजिटल डेस्क, जामताड़ा। आनंद रक्षित ने गांव के सरकारी स्कूल से बमुश्किल आठवीं तक की पढ़ाई की। उसके पिता हीरेन रक्षित एक पुरानी साइकिल पर घर-घर घूमकर रद्दी इकट्ठा करते थे। इसे बेचकर जितने पैसे जुटते थे, उसी से छोटे से कच्चे घर में रहने वाले सात सदस्यों वाले परिवार का किसी तरह गुजारा चलता था।

इस बीपीएल परिवार को लाल कार्ड पर हर महीने अनाज भी मिल जाता था। यह तीन-चार साल पुरानी बात है। फिर कुछ ही महीने में हालात ऐसे बदले कि इस परिवार ने कच्चे घर की जगह आलीशान मकान बना लिया। इसी मकान में पिछले साल अगस्त में एक रोज अचानक पुलिस ने रेड मारी। नकद 21 लाख के अलावा कार, स्कूटी, बाइक, पौने सात लाख की एफडी के कागज, 23 लाख 65 हजार रुपये की जमीन के कागज समेत 65 लाख की चल-अचल संपत्ति और 12 बैंक पासबुक पुलिस के हाथ लगे। आलीशान मकान की कीमत करीब 50 लाख रुपये आंकी गई। महज आठवीं पास आनंद रक्षित ने यह पूरी दौलत दूसरों के बैंक अकाउंट से रुपये उड़ाने और साइबर ठगी के तमाम नुस्खों के जरिए बनाई। पुलिस छापे के वक्त आनंद फरार मिला था। बाद में गिरफ्तार होकर जेल गया, लेकिन कुछ ही वक्त बाद वह बाहर आ गया। उसने कोर्ट में 20 लाख भरकर सशर्त जमानत ले ली।

जामताड़ा के सोनबाद नामक गांव निवासी आनंद रक्षित की यह कहानी एक अकेले उसी की नहीं है। साइबर ठगी की राजधानी के तौर पर चर्चित जामताड़ा के गांव-गांव में आपको आनंद की तरह सैकड़ों किरदार और हजारों कहानियां मिल जाएंगी।

जामताड़ा झारखंड का एक छोटा सा शहर है। झारखंड अलग राज्य बनने के एक साल बाद 2001 में सरकार ने जामताड़ा को जिले का दर्जा दिया। जामताड़ा उन्नीसवीं सदी के महान विचारक, दार्शनिक, लेखक और पुनर्जागरण के अग्रदूतों में से एक ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि रहा है। 1853 में वे यहां पर आए और छोटी सी कुटिया बनाकर रहने लगे। कुटिया वाले आश्रम का नाम उन्होंने नंदनकानन रखा। यहां रहकर उन्होंने वनवासियों को निशुल्क चिकित्सा सेवा शुरू की। नारी शिक्षा के लिए अभियान चलाया। उस दौर में उन्होंने जंगलों से घिरे इस इलाके में बालिका विद्यालय की स्थापना की।

उन्होंने यहीं से बाल विवाह पर रोक और विधवा पुनर्विवाह का आंदोलन चलाया। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वक्त भी यहीं गुजारे। विद्यासागर के नाम और उनके सम्मान में रेलवे ने कुछ साल पहले जामताड़ा जिले के करमाटांड़ स्टेशन का विद्यासागर किया। इसके बाद झारखंड सरकार ने भी उनके सम्मान में करमाटांड़ प्रखंड का नाम बदलकर विद्यासागर प्रखंड कर दिया।

ऐसे गौरवशाली इतिहास और विरासत वाले जामताड़ा-करमाटांड़ को आज लोग यहां से बड़े पैमाने पर ऑपरेट होने वाले साइबर क्राइम को आधार बनाकर 2020 में रिलीज हुए चर्चित वेब सिरीज जामताड़ा की वजह से ज्यादा जानते हैं। नई दिल्ली-हावड़ा मेन रेल लाइन के किनारे स्थित तकरीबन डेढ़ लाख की आबादी वाले करमाटांड़ के साइबर क्राइम के गढ़ के रूप में विकसित होने की कहानी देश में 2004-05 से शुरू हुई स्मार्ट फोन क्रांति के समानांतर चलती है। इसके लगभग दो दशक पहले से करमाटांड़ ट्रेनों में नशाखुरानी, छिनतई, उचक्कागिरी करने गिरोहों के चलते बदनाम होना शुरू हुआ था। यहां कई ऐसे गिरोह थे, जो ट्रेन मुसाफिरों के कीमती सामान उड़ाने-लूटने में माहिर थे। इस वजह से बैगन ब्रेकिंग स्टेशन के नाम से भी जाना जाता था।

स्मार्टफोन का दौर आया तो यहां के युवाओं ने घर बैठे-बैठे ऑनलाइन ठगी की तरकीबें सीख लीं। कुछ लोगों ने बड़े महानगरों में जाकर कॉल सेंटर, साइबर कैफे से लेकर मोबाइल मरम्मत की दुकानों में जाकर चिप बदलने से लेकर सॉफ्टवेयर के जरिए ठगी के नुस्खों की ट्रेनिंग ली। धीरे-धीरे ऑनलाइन ठगी करने वालों के कई गिरोह बन गए, जो अब जामताड़ा के अलावा देवघर, गिरिडीह, धनबाद और गोड्डा जिलों में लगभग 100 गांवों में फैले हैं। इन इलाकों के दर्जनों साइबर क्रिमिनल्स ने दिल्ली से लेकर अहमदाबाद, कोलकाता से लेकर जयपुर और मुंबई से लेकर पटना जैसे कई महानगरों में कॉल सेंटर खोल रखे हैं।

जामताड़ करमाटांड़ में साइबर क्रिमिनल्स का सबसे पहला उस्ताद सिंदरजोरी गांव निवासी सीताराम मंडल रहा है। लगभग 15 साल पहले उसने मुंबई के एक मोबाइल रिचार्ज की दुकान में नौकरी करते हुए ठगी के कई तरीके आजमाये और बाद में गांव आकर उसने कई साथियों और युवाओं को इस गोरखधंधे में जोड़ लिया। यहां तक कि बड़ी संख्या में महिलाओं को भी कॉलिंग के जरिए ऑनलाइन ठगी में ट्रेंड कर दिया गया। 2020 में सीताराम मंडल को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। कुछ महीनों बाद वह जमानत पर छूटा तो दूसरे केस में फिर गिरफ्तार हुआ।

पिछले साल पुलिस ने जामताड़ा से साइबर ठगी का गैंग ऑपरेट करने वाले मास्टर माइंड अल्ताफ उर्फ रॉकस्टार को गिरफ्तार किया था। उसकी उम्र महज 20 साल है। उसके गिरोह में कुल 14 लोग शामिल थे और इनमें से ज्यादातर लोगों ने बमुश्किल आठवीं से दसवीं तक की पढ़ाई कर रखी है। अल्ताफ अंसारी के पास आलीशान कोठी और तीन लक्जरी कार मिली।

जामताड़ा गिरोह के ही अताउल अंसारी ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर से 23 लाख रुपये की ठगी की थी। करमाटांड़ के धनंजय व पप्पू मंडल ने केरल के एक सांसद सहित सैकड़ों लोगों को लाखों का चूना लगाया था। दिल्ली से आई पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया था।

इसी साल राजस्थान के मेवात में पुलिस ने एक ऐसे ट्रेनिंग सेंटर का खुलासा किया, जहां बाकायदा क्रैश कोर्स के जरिये साइबर ठग बनाने की ट्रेनिंग दी जाती थी। पकड़े गए लोगों से पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि मेवात के इस सेंटर में यूनिफार्म के साथ ठगी का कोर्स कराया जाता है और जामताड़ा के कुछ गेस्ट टीचर इस सेंटर में ऑनलाइन क्लास लेते हैं।

वह बताते हैं कि किसी व्यक्ति को कैसे अपनी कम्युनिकेशन स्किल से फंसाना है, किसी को भी ठगी का शिकार बनाते समय या बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर करते समय कैसी सावधानियां बरतनी हैं।

जामताड़ा से होने वाले साइबर क्राइम पर कंट्रोल के लिए वर्ष 2018 में यहां साइबर थाना बना। इसके बाद से ढाई सौ से ज्यादा साइबर क्रिमिनल्स गिरफ्तार किए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद साइबर ठगी का सिलसिला नहीं थम रहा तो उसके पीछे की वजह यह है कि कोर्ट से जमानत पर छूटने के बाद ये फिर से इसी धंधे में जुट जाते हैं। पिछले छह-सात सालों देश के तकरीबन हर राज्य की पुलिस यहां साइबर ठगों की तलाश और साइबर क्राइम के केसेज की जांच के सिलसिले में पहुंची है। आज भी कोई दिन ऐसा नहीं होता, जब किसी न किसी दूसरे राज्य की पुलिस यहां जांच के लिए नहीं पहुंचती।

करमाटांड़ में पिछले आठ-दस सालों में एक से बढ़कर एक आलीशान मकान बने हैं। डेढ़ लाख की आबादी वाले इस इलाके में हर ब्रांड की हजारों कारें दौड़ती मिल जाएंगी। यह चमक-दमक और सारी समृद्धि साइबर ठगी की बदौलत है।

 

आईएएनएस

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Created On :   27 Aug 2022 3:00 PM IST

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