आज से गुजरात में सामान्य वर्ग को आरक्षण, 8 लाख से कम आय वालों को फायदा
- गुजरात
- सामान्य वर्ग को आरक्षण देने वाला पहला राज्य बनेगा।
- राज्य में 14 जनवरी से आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था हो रही है।
- सीएम रुपाणी ने राज्य में सरकारी शिक्षा और नौकरियों में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था लागू करने को मंजूरी दे दी है।
डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। गुजरात, सामान्य वर्ग को आरक्षण देने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है। यहां 14 जनवरी से आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को सरकारी शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू की जा रही है। सीएम विजय रुपाणी ने इसकी मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार अब गुजरात में, 8 लाख से कम सालाना आय वाले, 5 हेक्टेयर से कम कृषि भूमि वाले,1000 स्क्वायर फीट से कम के घर वाले, निगम में आवासीय प्लॉट 109 यार्ड से कम वाले और निगम से बाहर के प्लॉट के 209 यार्ड से कम वाले सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण दिया जाएगा।
गौरतलब है कि सामान्य वर्ग को आरक्षण देने सम्बंधी 124वें संविधान संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को ही मंजूरी दी थी। बिल पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के तुरंत बाद सरकार ने इस सम्बंध में अधिसूचना भी जारी कर दी थी।
इससे पहले गत बुधवार को राज्यसभा से और मंगलवार को लोकसभा से इस बिल को पास किया गया था। दोनों ही सदनों में सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने इस बिल को पेश किया था। लोकसभा में इस बिल पर जहां 5 घंटे चर्चा चली थी, वहीं राज्यसभा में इस पर 10 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई थी। दोनों ही सदनों में AIADMK, AIMIM और RJD के अलावा सभी दलों ने बिल को अपना समर्थन दिया था।
संसद में चर्चा के दौरान सत्तापक्ष के नेताओं ने जहां इस बिल पर मोदी सरकार की पीठ थपथपाई थी, वहीं विपक्षी पार्टियों ने बिल का समर्थन तो किया लेकिन साथ ही इसे मोदी सरकार का नया चुनावी जुमला भी करार दिया था। विपक्षी दलों ने इस दौरान कहा था कि सरकार ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए सामान्य वर्ग को लुभाने के मकसद से बिल को जल्दबाजी में संसद में पेश किया। विपक्षी नेताओं का कहना था कि आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट इस संशोधन बिल को रद्द कर देगा, क्योंकि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
दोनों ही सदनों में विपक्ष के कई सांसदों ने इस विधेयक को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने की भी मांग की थी। लेकिन दोनों ही सदनों में ऐसे प्रस्तावों को वोटिंग के दौरान खारिज कर दिया गया। अन्य सांसदों के संशोधन प्रस्ताव को भी भारी मतों से खारिज कर दिया गया।
बता दें कि इस 124वें संविधान संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दे दी गई है। यूथ फॉर इक्वलिटी नाम के एक NGO ने इस बिल के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि, यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय की गई है, इससे ज्यादा आरक्षण असंवैधानिक है। याचिका में आर्थिक आधार पर महज सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण देना भी अंसवैधानिक बताया है।
Created On :   13 Jan 2019 8:15 PM IST