डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक को वापस ले लिया। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के प्रावधानों को खत्म करने बाद अब केंद्रीय कानून कश्मीर पर भी लागू हो गया है। इसके तहत आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को दिया जाने वाला कोटा भी कश्मीरियों को मिलने लगा है। इसी वजह से केंद्र सरकार ने इस बिल को वापस लेने का फैसला लिया है।

यह विधेयक जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन के लिए लोकसभा में लाया गया था। 24 जून 2019 को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में इसे पेश किया था। विधेयक में अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के आसपास रहने वाले लोगों को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास रहने वालों की तरह ही नौकरियों, पदोन्नति और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलने की बात कही गयी थी।

लोकसभा में प्रस्ताव संबंधी संकल्प पेश करने के दौरान अमित शाह ने बताया था कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के बाद इस विधेयक की जरूरत नहीं होगी। 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के प्रावधानों को खत्म कर दिया। साथ ही जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाक में विभाजित कर दिया। इसी वजह से सरकार ने आरक्षण बिल को वापस लेने का फैसला लिया।

इस बिल को वापस लेने पर तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने विरोध जताया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में जम्मू कश्मीर के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को आरक्षण देने की बात कही गयी थी। इसमें कुछ गलत नहीं था। सरकार को इसे वापस लेने का कारण स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सदन की कार्यवाही के नियम 110 के तहत विधेयक वापसी के तीन प्रमुख कारण होते हैं जिनमें नया विधेयक लाना या अन्य कोई विधेयक लाना शामिल हैं।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह विधेयक राज्यसभा द्वारा पारित है और सरकार ने छह अगस्त को सदन को अवगत कराया था कि किस कारण से विधेयक वापस लिया जा रहा है।

Created On :   27 Nov 2019 10:02 PM IST

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