इस सरकारी आदेश से जल्द छूटेगा फ्रूटी और स्ट्रॉ का साथ !

Frooti and Straw will soon be out of favor with this government order!
इस सरकारी आदेश से जल्द छूटेगा फ्रूटी और स्ट्रॉ का साथ !
अब कंपनियों की बढ़ेंगी मुश्किलें इस सरकारी आदेश से जल्द छूटेगा फ्रूटी और स्ट्रॉ का साथ !
हाईलाइट
  • सिंगल यूज प्लास्टिक पर 1 जुलाई से लगने जा रहा बैन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । अब आप ज्यादा समय तक स्ट्रॉ के साथ फ्रूटी पीने का मजा नही ले पाएंगे। फ्रूटी के साथ आपको अब स्ट्रॉ नहीं मिलेगा। इसका कारण सिंगल यूज प्लास्टिक पर 1 जुलाई से लगने जा रहा बैन है। सिंगल यूज प्लास्टिक में स्ट्रॉ भी शामिल है, इस कारण से इसका उपयोग करना गैर कानूनी होगा। सरकार ने जिस समय इस बैन को लगाने की घोषणा की थी, उस समय कई देशी व विदेशी बेवरेज कंपनियों ने स्ट्रॉ को इस पाबंदी से अलग रखने की मांग की थी। जिसे सरकार ने ठुकरा दिया था। जिसके बाद इन कंपनियों ने अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री ऑफिस में गुहार लगाई है। 

इन कंपनियों के लॉबी ग्रुप एक्शन अलायंस फॉर रिसाइक्लिंग बेवरेज कार्टन्स ने पीएमओ को पत्र लिखकर प्लास्टिक स्ट्रॉ का विकल्प अपनाने के लिए सरकार से और अधिक समय मांगा है। पत्र में स्ट्रॉ बैन से पहले से ही मंहगाई की मार झेल रहे ग्राहकों को होने वाली तकलीफों का जिक्र किया गया है, साथ ही इसमें कहा गया है कि इस फैसले से सरकार की बिजनेस को आसान बनाने वाली नीति पर भी इफेक्ट पड़ेगा। इस पत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि बिना विकल्प के अगर स्ट्रा को बंद किया गया तो इंडस्ट्री को 5 से 6 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा। बता दें कि इस अलायंस में पार्ले, कोका-कोला, पराग और डाबर समेत 15 से ज्यादा कंपनियां शामिल हैं। 

भारत में हर साल 6 अरब टेट्रापैक बिकते हैं। पेप्सी का ट्रॉपिकाना, डाबर का रियल जूस, कोकाकोला का माजा और पारले का फ्रूटी इन सब टेट्रापैकों के साथ एक स्ट्रॉ भी आता है। स्ट्रॉ जो कि सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में आता है सरकार ने उस पर भी पाबंदी लगाने की तैयारी कर ली है। उसका कारण यह है कि सिंगल यूज प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए नुकसान दायक माना जाता है। इस तरीके के प्लास्टिक उत्पाद लंबे समय तक पर्यावरण में मौजूद रहकर उसको हानि पहुंचाते हैं। यही कारण है कि सरकार ने इन पर पाबंदी लगाने का निर्णय लिया है। 

वहीं दूसरी तरफ एक्शन अलायंस फॉर रिसाइक्लिंग बेवरेज कार्टन्स ग्रुप का कहना है कि प्लास्टिक स्ट्रॉ पाबंदी से सरकार की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पॉलिसी पर असर पड़ेगा। प्लास्टिक स्ट्रॉ का विकल्प बनाने के लिए इंडस्ट्री को अभी और समय की जरुरत है और इसके लिए कम से कम 2 से तीन साल का समय लग सकता है।
 
बात करें पेपर स्ट्रॉ की जिसे प्लास्टिक स्ट्रा का विकल्प बताया जा रहा है। उस पर एक्शन अलायंस फॉर रिसाइक्लिंग बेवरेज कार्टन्स ग्रुप के चीफ एग्जीक्यूटिव प्रवीण अग्रवाल का कहना है कि पेपर स्ट्रॉ इम्पोर्ट करने से कंपनियों की लागत में बढ़ोत्तरी होगी और इस वजह से उन्हें अपने प्रोडक्ट की कीमत बढ़ानी पड़ेगी। जिससे उसकी बिक्री पर बुरा असर पड़ेगा। 

गौरतलब है कि सरकार ने पिछले साल अगस्त में एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके अनुसार 1 जुलाई 2022 से सभी तरह के सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाने को कहा गया था। 

 

  

         
 

Created On :   28 May 2022 10:58 PM IST

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