मप्र को लेकर मोदी की सोशल इंजीनियरिंग, चार अंचल से चार वर्गों को साधा
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धर्मेंद्र पैगवार, भोपाल। केंद्र की मोदी सरकार पार्ट-2 में मध्य प्रदेश से चार मंत्री शामिल किए गए हैं। चारों मंत्रियों को शामिल करते हुए क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों का ध्यान रखा गया है। इसे मोदी की सोशल इंजीनियरिंग माना जा रहा है।
मप्र से नरेंद्र सिंह तोमर और थावरचंद गेहलोत कैबिनेट मंत्री बने हैं। तोमर, राजपूत (सामान्य वर्ग से) हैं और चंबल अंचल की मुरैना सीट से सांसद हैं। वे मोदी की पिछली सरकार में भी मंत्री थे। मप्र में भाजपा के दलित चेहरे गेहलोत भी लगातार दूसरी बार मंत्री बने हैं। वे राज्यसभा सदस्य हैं और मालवा से ताल्लुक रखते हैं। वे भाजपा केंद्रीय संसदीय बोर्ड के मेंबर भी हैं।
दमोह के सांसद प्रहलाद पटेल और मंडला से जीते फग्गन सिंह कुलस्ते राज्यमंत्री बनाए गए हैं। पटेल पिछड़े वर्ग के नेता हैं और बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व करते हैं। वैसे मूल रूप से वे महाकौशल के नरसिंहपुर गोटेगांव के निवासी हैं, लेकिन दूसरी बार बुंदेलखंड के दमोह से चुनाव जीते हैं। कुलस्ते महाकौशल के मंडला से सांसद बने हैं। वे भाजपा का आदिवासी चेहरा हैं। पटेल अटल बिहारी वाजपयी सरकार में भी राज्यमंत्री रह चुके हैं, जबकि कुलस्ते मोदी सरकार में भी मंत्री थे, बीच में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था। इस तरह मप्र के चार अंचलों से केंद्र सरकार में सामान्य, पिछडा, दलित और आदिवासी सभी को मौका दिया गया है।
मप्र से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह और सतना से सांसद गणेश सिंह भी मंत्री पद के दावेदार थे। केंद्र में विंध्य प्रतिनिधित्व से छूट गया है। हालांकि मोदी ने यह संदेश दिया है कि वह अभी मप्र संगठन में कोई फेरबदल नहीं करने वाले हैं। मोदी की टीम में शामिल ओडिशा के रहने वाले धर्मेंद्र प्रधान और महाराष्ट्र के प्रकाश जावड़ेकर भी मध्यप्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं।
Created On :   30 May 2019 9:01 PM IST