'दागो और भूल जाओ' मिसाइल प्रोसपिना के अंतिम टेस्टिंग की तैयारी
डिजिटल डेस्क, जोधपुर। तीसरी पीढ़ी के फायर ऐंड फॉर्गेट टैंकरोधी गाइगेड मिसाइल प्रोसपिना के राजस्थान के रेगिस्तान में परीक्षण की तैयारी की जा रही है। प्रोसपिना को ही पहले नाग नाम दिया गया था। इसी साल जून में इस एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल का जैलसमेर के चंदन फील्ड फायरिंग रेंज में सफल परीक्षण किया गया था। इस बार इसका अंतिम परीक्षण किया जाना है।
मिसाइल में लगे हैं संवेदनशील डिटेक्टर्स
अधिकारियों ने बताया कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो सेना में शामिल किए जाने से पहले होने वाला "यूजर एक्सेप्टेंस ट्रायल" भी इसी के बाद किया जा सकता है। प्रोसपिना मिसाइल में कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें हाई रेजोल्यूशन इमेंजिग इन्फ्रारेड (आईआईआर) भी शामिल है। पिछले साल बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में प्रोसपिना मिसाइल का चार किलोमीटर की सीमा में सफल परीक्षण किया गया था। मिसाइल के अगले हिस्से पर बेहद संवेदनशील डिटेक्टर्स लगाएं गए हैं, जो गर्मी का अंदाजा लगाते हुए लक्ष्य के भीतर अलग-अलग उष्मा वाली जगहों को पहचान सकते हैं।
परीक्षण में खरी उतरी थी प्रोसपिना मिसाइल
प्रोसपिना मिसाइल इस साल जून में हुए परीक्षण में, हर परीक्षा में खरी उतरी थी। परीक्षण में मिसाइल से दिन और रात दोनों ही परिस्थिति में चार किलोमीटर की सीमा में स्थित लक्ष्य पर अचूक निशाना लगाया गया था। यह डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद) की बड़ी कामयाबी है। नाग मिसाइल डीआरडीओ द्वारा 1980 में शुरू किए गए इंटिग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का हिस्सा रही है। अब डीआरडीओ ने प्रॉजेक्ट नाग का नाम बदलकर प्रोसपिना कर दिया है।
Created On :   10 Sept 2017 3:06 PM GMT