जम्मू-कश्मीर में फिर मिला विस्फोटक पदार्थ, हो सकता था उरी जैसा हमला, जवानों की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा
- फिर से जम्मूकश्मीर को दहलाने की कोशिश नाकाम
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में भारतीय जवान हर बार पाकिस्तान के मनसूबों पर पानी फेर देते हैं। पाकिस्तान हमेशा से जम्मू-कश्मीर में आंतकवादियों को भेजता रहता है, लेकिन हमारे जवान हर बार आंतक को खत्म करके राज्य में शांति बहाल करने का कार्य करते हैं। शानिवार को जम्मू-कश्मीर के बारामूला के उरी के हथलंगा में सुरक्षा बलों व पुलिस ने भारी मात्रा में गोला-बारूद और हथियार बरामद किया। जिसमे खतरनाक विस्फोटक व आधुनिकता से लैस हथियार मौजूद रहे। सुरक्षा बलों द्वारा 8 AKS, 24 मैगजीन और 560 राउंड्स के साथ 74u, 24 मैगजीन और 244 राउंड्स के साथ 12 पिस्तौल, 14 ग्रेनेड और 81 बैलून्स बरामद किए हैं। पैक किए गए गोला-बारूद पर पाकिस्तान के झंडे की छाप मौजूद है।
पहले भी कर चुका है हमला
पाकिस्तान हर बार प्रयास करता रहता है कि वो जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता पैदा करे लेकिन भारतीय जवानों के बॉर्डर पर मुश्तैदी की वजह से हर बार पाक का प्लान फेल हो जाता है। साल 2016 में सितंबर महीने के 18 तारीख का वो दिन जो भारत के लिए काफी दुखद रहा था। उस तारीख को जैश-ए-मोहम्मद के चार आंतकवादियों ने भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वॉटर्स पर हमला किया था। ये पूरा हमला जम्मू-कश्मीर के उरी कैंप के सैक्टर में हुआ था। जिसमें हमारे 19 जवान शहीद हो गए और कई घायल भी हुए थे। आंतकियों ने सुरक्षा बलों पर 3 मिनट में 17 ग्रेनेड फेंके थे। इसके बाद चारों आतंकवादियों को सेना ने करीब 6 घंटे के कड़ी मशक्त करने के बाद उन्हें मार गिराया था। वहीं, उरी हमले के जवाब में भारत ने 150 कमांडोज के साथ सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए पीओके में तीन किमी अंदर जाकर काफी संख्या में आतंकवादियों को मार गिराया था।
घाटी में कम हुई आंतकवाद की घटना
केंद्रीय सुचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बीते सोमवार को कहा कि आंतकवाद को लेकर मोदी सरकार जीरो टॉलरेस की नीति अपनाई हुई है। घाटी में आंतक पर कोई रहम नहीं होगा। हमारी सरकार आने के बाद से जम्मू-कश्मीर में आंतकी घटनाएं 168 फीसदी कम हुई है। आंतकवादियों की कमर टूट चुकी है। उन्होंने कहा कि 2015 के बाद से वामपंथी चरमपंथ की घटनाओं में 265 फीसदी से अधिक की कमी आई है।
ठाकुर ने आगे कहा, 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक उरी हमले के जवाब में की गई थी। 2019 में बालाकोट हवाई हमले पुलवामा में बमबारी के जवाब में किए गए। इसलिए इन सभी निर्णायक कार्रवाइयों का ठोस परिणाम निकला है। 2014 के बाद आतंकवाद के कारण हिंसा में 80 फीसदी की कमी आई, असैन्य नागरिकों की मौत में 89 प्रतिशत की कमी आई और 6,000 आतंकवादियों ने आत्म समर्पण किया।
Created On :   24 Dec 2022 7:53 PM IST