भूजल बोर्ड ने 50 हजार के मुकाबले मुश्किल से 16 हजार कुओं की निगरानी की
- रिपोर्ट में 2013-18 की अवधि के लिए भूजल प्रबंधन और विनियमन के निष्पादन लेखापरीक्षा के ऑब्जवेशन शामिल हैं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने हर दो साल में किए जाने वाले भूजल संसाधनों के आकलन चक्र में एक साल का समय नहीं लिया और भूजल स्तर को मापने के लिए प्रस्तावित 50,000 कुओं के मुकाबले केवल 15,851 कुओं की निगरानी की जा रही है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने एक रिपोर्ट में यह बात कही।
भूजल प्रबंधन और विनियमन : केंद्र सरकार, जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा कायाकल्प पर एक रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गई। रिपोर्ट में सीएजी ने कहा है, भूजल स्तर को मापने के लिए 31 मार्च, 2019 तक केवल 15,851 कुओं की निगरानी की गई, जबकि कुओं के अवलोकन की प्रस्तावित संख्या 50,000 थी। यह कार्य बारहवीं योजना अवधि के अंत तक यानी 2012-17 तक पूरा होना था।
रिपोर्ट में 2013-18 की अवधि के लिए भूजल प्रबंधन और विनियमन के निष्पादन लेखापरीक्षा के ऑब्जवेशन शामिल हैं। 2017-18 के बाद की अवधि से संबंधित मामलों को भी इसमें शामिल किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, सीजीडब्ल्यूबी ने राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (एनएचपी) के तहत भूजल घटक के साथ अभिसरण में डिजिटल जल स्तर रिकॉर्डर (डीडब्ल्यूएलआर) और टेलीमेट्री से लैस उद्देश्य से निर्मित कुओं के माध्यम से देशभर के विभिन्न जलाशयों की वास्तविक भूजल निगरानी का भी प्रस्ताव रखा था। लेकिन मार्च 2020 तक बनाने के बजाय अभी भी इसकी योजना बनाने का काम चल ही रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, भूजल संसाधनों का आकलन हर दो साल में किया जाना है। ऑडिट अवधि के दौरान, सीजीडब्ल्यूबी ने 2013 और 2017 के लिए इस तरह के आकलन किए और क्रमश: जून 2017 और जुलाई 2019 में रिपोर्ट प्रकाशित की।
रिपोर्ट ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि सीजीडब्ल्यूबी और इसके क्षेत्रीय और संभागीय कार्यालयों में वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग श्रेणियों में मानव संसाधनों की कमी है।
(आईएएनएस)
Created On :   21 Dec 2021 6:00 PM GMT