स्वास्थ्य बीमा लेने के लिए 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहने की जरूरत नहीं, डॉक्टर के फैसले से तय होगा मरीज कितनी देर भर्ती रहे, बीमा खारिज नहीं कर सकती कंपनी

Big order of Consumer Forum, important decision will be taken by the doctor
स्वास्थ्य बीमा लेने के लिए 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहने की जरूरत नहीं, डॉक्टर के फैसले से तय होगा मरीज कितनी देर भर्ती रहे, बीमा खारिज नहीं कर सकती कंपनी
कंज्यूमर फोरम का बड़ा आदेश स्वास्थ्य बीमा लेने के लिए 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहने की जरूरत नहीं, डॉक्टर के फैसले से तय होगा मरीज कितनी देर भर्ती रहे, बीमा खारिज नहीं कर सकती कंपनी
हाईलाइट
  • कंज्यूमर फोरम ने लिया अहम फैसला

डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। गुजरात के वडोदरा जिले के उपभोक्ता फोरम ने एक अहम फैसला सुनाया है। जिसके बाद से कोई भी मरीज अस्पताल में 24 घंटे भर्ती रहे बगैर स्वास्थ बीमा का दावा कर सकता है। लेकिन यह पूरा मामला आपकी सेहत की जांच करने वाले डॉक्टर पर निर्भर करता है कि वो क्या कहता है। अगर आपकी स्थिति को देखकर हॉस्पिटल के डॉक्टर को लगता है कि आपको 24 घंटे अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं है, तो वो आपको घर जाने के लिए बोल सकता है। इसके साथ ही वो बीमा कंपनी से आपकी बीमा की राशि भुगतान करने का भी आदेश दे सकता है।

कंज्यूमर फोरम ने लिया अहम फैसला

दरअसल, वडोदरा स्थित कंज्यूमर फोरम में रमेश चंद्र जोशी नाम के एक शख्स ने याचिका लगाई थी। यह याचिका साल 2017 में एक हेल्थ इंश्योरेस कंपनी के खिलाफ लगाई गई थी। जोशी का आरोप था कि इस बीमा कंपनी ने 'बीमा क्लेम' देने से साफ माना कर दिया था। इसी मामले पर फोरम ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि "वर्तमान समय में नई तकनीक आने से मरीज को 24 घंटे में कम से कम समय में ही इलाज दिया जा सकता है।  पहले के समय में लोग इलाज के लिए लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती होते थे, लेकिन नई तकनीक आने से मरीजों को बिना भर्ती किए ही या फिर कम समय में ही इलाज किया जा सकता है।"

कंज्यूमर फोरम ने आगे कहा कि "अगर मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है या नई तकनीक के चलते भर्ती होने के बाद कम समय में इलाज किया जाता है, तो बीमा कंपनी यह कह कर दावे को खारिज नहीं कर सकती कि मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया था।"

क्या है पूरा मामला?

वडोदरा निवासी रमेश चंद्र जोशी अपने जिले के अस्पताल में अपनी बीमार पत्नी को भर्ती कराया था। 24 घंटे से ज्यादा समय के बाद उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी मिली। जिसके बाद से वो अपने घर चले गए। लेकिन बाद में जोशी ने बीमा कपंनी से 44,468 रूपये का मेडिकल क्लेम मांगा। लेकिन बीमा कंपनी ने बीमा देने से साफ इंकर कर दिया और कहा था कि बीमा देने के लिए 24 घंटे हॉस्पिटल में इलाज कराने की जरूरत होती है।

इस पूरे मामले को जोशी ने जिले के उपभोक्ता फोरम में उठाया और अपनी शिकायत दर्ज कराई। जहां पर उन्होंने फोरम के सामने तमाम डॉक्यूमेंट्स रखे। जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि रोगी को अस्पताल में 24 नंवबर की शाम साल 2016 में लाया गया था। जबकि अगले दिन 25 नंवबर की शाम 6.30 बजे उन्हें डिस्चार्ज किया गया था।

इस तरह वो करीब 25 घंटे अस्पताल में रहीं। फिर भी बीमा कंपनी ने उन्हें राशि का भुगतान नहीं किया। इसी को लेकर जोशी ने फोरम में याचिका लगाई थी। जिस पर उपभोक्ता फोरम ने अपना अहम फैसला सुनाया है।

बीमा कंपनी को लगी फटकार

इस पूरे मामले पर बीमा कंपनी को फटकार लगाते हुए कंज्यूमर फोरम ने कहा कि ये सारी बातें बीमा कंपनी तय नहीं कर सकती हैं। ये बीमा कंपनी को कतई फैसला लेने का अधिकार नहीं है कि रोगी को 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहना ही होगा। यह फैसला केवल हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ही ले सकते हैं की रोगियों को 24 घंटे के इलाज की जरूरत है या महज कुछ ही घंटों में वो इलाज से ठीक हो सकते हैं। वडोदरा फोरम ने बीमा कंपनी को सख्त लहजे में आदेश दिया कि वो जोशी को 9 फीसदी ब्याज दर के साथ 44,468 रूपये की भुगतान करें।


 

Created On :   15 March 2023 8:02 AM GMT

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