कस्तूरबा से बहुत प्यार करते थे बापू, जानें क्यों सताती थी 'बा' की यादें

Bapu gave a special place to wife Kasurba
कस्तूरबा से बहुत प्यार करते थे बापू, जानें क्यों सताती थी 'बा' की यादें
कस्तूरबा से बहुत प्यार करते थे बापू, जानें क्यों सताती थी 'बा' की यादें

डिजिटल डेस्क नई दिल्ली। कस्तूरबा के बारे में बापू कहते हैं, "मैं कस्तूरबा से बहुत प्यार करता था। स्कूल के दिनों में उसकी यादें मुझे बहुत सताया करती थी। शादी के 5 साल बाद कहीं जाकर हम एक साथ लंबे समय तक रहें।"

पोरबंदर में जन्मी कस्तूरबा बड़ी ही सीधी और धार्मिक थी। अपने परिवार की पुरानी विचारधाराओं के चलते वह पढ़-लिख ना सकी। हालांकि अनपढ़ होने के बावजूद भी कस्तूरबा एक दयालु और बुध्दिजीवी महिला थी। बापू ने भी कहा कि "जो लोग मेरे और बा के संपर्क में आएं, उनमें से ज्यादा लोग मेरी अपेक्षा बा पर अधिक श्रध्दा रखते थे।" लेकिन अंग्रेजी पढ़ने वाले मोहन को अपनी पत्नी का अनपढ़ होना अच्छा नहीं लगता था। बाद में गांधीजी ने स्वयं उन्हें पढ़ाया-लिखाया।

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बापू और बा का जन्म एक ही वर्ष 1869 में हुआ और दिलचस्प बात ये है कि गांधीजी, कस्तूरबा से छह महीने छोटे थे। महज 13 साल की कम उम्र में गांधी जी और कस्तूरबा का विवाह हुआ। हालांकि हर पति-पत्नी की तरह उनके दांपत्य जीवन में भी उतार-चढ़ाव आते रहे। बहुत से मोड़ ऐसे भी आए जब उनके रिश्ते में मनमुटाव हुआ। लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी भी होती रही जब एक-दूसरे के प्रति दोनों का सम्मान बढ़ता रहा। कस्तूरबा ही थी जिन्हें बापू ने अपने जीवन में एक विशेष स्थान दिया था। यदि किसी ने मोहनदास के महात्मा बनने की यात्रा को सबसे करीब से देखा, तो वह सिर्फ कस्तूरबा ही थीं। 

Created On :   2 Oct 2019 6:31 AM GMT

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