हरीश साल्वे बयान: जाधव की रिहाई के लिए बैक-डोर से भी की थी कोशिश, अब दोबारा ICJ जाने पर विचार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की जेल से छुड़ाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इस बीच इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में कुलभूषण जाधव का केस लड़ने वाले वकील हरीश साल्वे खुलासा किया है कि जाधव की रिहाई के लिए भारत सरकार ने पाकिस्तान से "बैक डोर" सेभी बातचीत की थी। पाक के साथ इसे लेकर 7-8 बार पत्राचार भी हुआ, लेकिन हर बार पाक मामले को टालता रहा।
अजीत डोभाल ने पाकिस्तान के NSA से बात की
हरीश साल्वे ने वकीलों के एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कुलभूषण जाधव को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में बताया कि "हम उम्मीद कर रहे थे कि बैक-चैनल के माध्यम से हम पाकिस्तान को उन्हें जाने देने के लिए राजी कर सकते हैं। पाकिस्तान को समझाने के कई प्रयास भी हुए ताकि मानवीय आधार या किसी अन्य आधार पर वो जाधव छोड़ दें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पाकिस्तान में यह एक बड़ी ईगो प्रॉबलम बन गई है। साल्वे ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने भी खुद पाकिस्तान में समकक्ष नासिर खान जांजुआ से इसके लिए बात की थी। हालांकि यह बातचीत बेनतीजा रही।
पाक की तरफ से नहीं दी गई FIR और चार्जशीत की कॉपी
साल्वे ने कहा "आईसीजे के फैसले के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। पाकिस्तान की तरफ से एफआईआर और चार्जशीट की कॉपी अभी तक नहीं दी गई है। बार-बार कहने के बाद भी उनकी तरफ से कोई सबूत नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में अब हम विचार कर रहे हैं कि क्या हमें फिर से आईसीजे जाना चाहिए या नहीं।" जुलाई 2019 में नीदरलैंड्स स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने करीब 26 महीने चली सुनवाई के बाद दिए भारत के हक में फैसला सुनाते हुए जाधव के लिए कौंसुलर एक्सेस की इजाजत देने को कहा था। साथ ही जाधव के मामले की सिविलियन अदालत में सुनवाई के लिए भी अवसर मुहैया कराने को कहा था।
मार्च 2016 से पाकिस्तान की जेल में है जाधव
कुलभूषण जाधव जाधव मार्च 2016 से पाकिस्तान की जेल में हैं। जाधव को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। कुलभूषण जाधव तक राजनयिक पहुंच के पाकिस्तान के इनकार के बाद भारत ने मई 2017 में ICJ का रुख किया था। भारत ने 48 वर्षीय कुलभूषण जाधव के खिलाफ पाकिस्तान की सैन्य अदालत में "फार्सिकल ट्रायल" को भी चुनौती दी थी। इसके बाद 21 जुलाई को आईसीजे ने भारत के पक्ष में 15-1 से फैसला सुनाया था।
Created On :   3 May 2020 12:01 PM IST