लड़कियों से हिजाब हटाने को कहना निजता का हनन, गरिमा पर हमला : जस्टिस धूलिया

Asking girls to remove hijab is a breach of privacy, an attack on dignity: Justice Dhulia
लड़कियों से हिजाब हटाने को कहना निजता का हनन, गरिमा पर हमला : जस्टिस धूलिया
हिजाब विवाद लड़कियों से हिजाब हटाने को कहना निजता का हनन, गरिमा पर हमला : जस्टिस धूलिया
हाईलाइट
  • यह महसूस करना चाहिए कि विविधता हमारी ताकत है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सुधांशु धूलिया ने गुरुवार को कर्नाटक में हिजाब बैन पर बंटे हुए फैसले में कहा कि लड़कियों को स्कूल के गेट में घुसने से पहले हिजाब उतारने के लिए कहना निजता का हनन और गरिमा पर हमला है। उन्होंने कहा कि यह वह समय है, जब बच्चों को हमारी विविधता से घबराना नहीं, बल्कि खुश होना चाहिए और इसका जश्न मनाना सीखना चाहिए। यही वह समय है, जब उन्हें यह महसूस करना चाहिए कि विविधता हमारी ताकत है।

न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, लड़कियों को स्कूल के गेट में प्रवेश करने से पहले अपना हिजाब उतारने के लिए कहना, पहले जो उनकी निजता का हनन है, फिर यह उनकी गरिमा पर हमला है और अंतत: उन्हें धर्मनिरपेक्ष शिक्षा से वंचित करना है। यह कृत्य स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए), अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 25(1) का उल्लंघन करता है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति धूलिया की पीठ ने यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों को खारिज कर दिया, जबकि न्यायमूर्ति धूलिया ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया और कर्नाटक सरकार के 5 फरवरी के आदेश को रद्द कर दिया।

याचिकाकर्ताओं ने राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार की बात कहने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि कर्नाटक के स्कूलों और कॉलेजों में कहीं भी हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हिजाब प्रतिबंध का दुर्भाग्यपूर्ण नतीजा यह होगा कि एक समुदाय विशेष की लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, किसी बालिका के लिए स्कूल के गेट तक पहुंचना अभी भी आसान नहीं है। इसलिए, यहां इस मामले को किसी बालिका के स्कूल पहुंचने में पहले से ही आ रही चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में भी देखा जाना चाहिए। यह अदालत इस सवाल का जवाब देगी कि हम सिर्फ हिजाब पहनने के कारण किसी लड़की को शिक्षा देने से इनकार करके उसके जीवन को क्या बेहतर बना रहे हैं?

उन्होंने कहा कि हिजाब पहनना केवल पसंद का मामला होना चाहिए और यह आवश्यक धार्मिक अभ्यास का मामला हो भी सकता है और नहीं भी, लेकिन यह अभी भी अंतरात्मा, विश्वास और अभिव्यक्ति का मामला है। जस्टिस धूलिया ने कहा कि अगर कोई लड़की हिजाब पहनना चाहती है, यहां तक कि अपने क्लास रूम के अंदर भी, तो उसे रोका नहीं जा सकता। हो सकता है, लड़की का रूढ़िवादी परिवार उसे स्कूल जाने की अनुमति इसलिए देता हो, क्योंकि वह हिजाब पहनकर घर से निकलती है।

उन्होंने 73 पृष्ठों के फैसले में कहा, भाईचारा हमारा संवैधानिक मूल्य है, इसलिए हमें सहिष्णु होने की जरूरत है और जैसा कि कुछ वकील दूसरों के विश्वास और धार्मिक प्रथाओं के प्रति उचित रूप से अनुकूल होने का तर्क देंगे, हमें बिजो इमैनुएल में जस्टिस ओ. चिन्नप्पा रेड्डी द्वारा की गई अपील को याद रखना चाहिए - हमारी परंपरा सहिष्णुता सिखाती है, हमारा दर्शन सहिष्णुता का उपदेश देता है, हमारा संविधान सहिष्णुता का अभ्यास करता है, आइए हम इसे कमजोर न करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि 5 फरवरी, 2022 के सरकारी आदेश और हिजाब पहनने पर प्रतिबंध भी बंधुत्व और मानवीय गरिमा के संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं।

न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, फ्रांसीसी क्रांति की त्रिपिटक भी हमारी प्रस्तावना का एक हिस्सा है। यह सच है कि स्वतंत्रता और समानता अच्छी तरह से स्थापित है, ठीक से समझी जाती है। हमारे संविधान के निर्माताओं की एक अलग दृष्टि थी। बंधुत्व का हमारे संविधान के मुख्य वास्तुकार डॉ. अंबेडकर के लिए बहुत बड़ा अर्थ था।

उन्होंने कहा कि स्कूल, विशेष रूप से हमारे कॉलेज आदर्श संस्थान हैं, जहां बच्चे जो एक प्रभावशाली उम्र में पहुंच चुके होते हैं, और उनमें देश की समृद्ध विविधता के प्रति सजगता रहती है। उन्हें परामर्श और मार्गदर्शन की जरूरत है, ताकि वे सहिष्णुता और साथ रहने के हमारे संवैधानिक मूल्यों को आत्मसात करें।

जस्टिस धूलिया ने कहा, यह समय उनमें विभिन्न धर्मो, भाषाओं और संस्कृतियों के प्रति संवेदनशीलता, सहानुभूति और समझ को बढ़ावा देने का है। यही वह समय है, जब उन्हें हमारी विविधता से घबराना नहीं, बल्कि इस विविधता का आनंद लेना और जश्न मनाना सीखना चाहिए। यही वह समय है, जब उन्हें यह महसूस करना चाहिए कि विविधता में ही हमारी ताकत है।

(आईएएनएस)

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Created On :   13 Oct 2022 6:30 PM IST

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