लिंगायतों के मठ से अमित शाह का कर्नाटक दौरा शुरू, कल दलितों के मठ जाएंगे

Amit Shah on Karnataka tour from today to visit Lingayat mutts
लिंगायतों के मठ से अमित शाह का कर्नाटक दौरा शुरू, कल दलितों के मठ जाएंगे
लिंगायतों के मठ से अमित शाह का कर्नाटक दौरा शुरू, कल दलितों के मठ जाएंगे

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सोमवार से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दो दिन के दौरे पर कर्नाटक पहुंचे। अपने दो दिनों के दौरे के दौरान अमित शाह लिंगायतों और दलितों से जुड़े मठों के दर्शन करेंगे। दरअसल, हाल ही में कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने की मंजूरी देकर गेंद केंद्र सरकार के पाले में फेंक दी है, जिससे निपटने के लिए शाह लिंगायतों और दलितों के मठों में जाकर उन्हें बीजेपी की तरफ लाने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा शाह रोड शो समेत कई कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे। बता दें कि 24-25 मार्च को ही राहुल गांधी कर्नाटक का दौरा करके लौटे हैं। 

 

 



लिंगायतों के मठ जाकर दौरे की शुरुआत

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने कर्नाटक दौरे की शुरुआत लिंगायतों के मठ जाकर की। सोमवार को शाह सबसे पहले सिद्धगंगा मठ पहुंचे, जो लिंगायतों से जुड़ा हुआ है। मठ पहुंचकर शाह ने संत श्री श्री श्री शिवकुमार स्वामीजी से आशीर्वाद लिया और काफी देर तक उनसे बातचीत भी की। इसके बाद मंगलवार को शाह दलितों से जुड़े हुए मदारा चैन्नैया मठ जाएंगे। इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष बेक्किनेकल, सिरगेरे और मुरुगा समेत कई मठों का दौरा भी करेंगे।

क्या है अमित शाह का पूरा कार्यक्रम

अमित शाह के इस कर्नाटक दौरे का पूरा फोकस ज्यादातर लिंगायतों और दलित वोटों को साधने पर किया गया है। हालांकि इस दौरान शाह कई सभाएं भी करेंगे और व्यापारियों से भी चर्चा करेंगे। दो दिनों के दौरे के दौरान शाह एक रोड शो भी निकालेंगे, जिसमें बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को पहुंचने को कहा गया है। इन सबके अलावा शाह किसानों से भी बात करेंगे और पार्टी से जुड़े कई कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेंगे।

 

 



क्यों खास है शाह का ये दौरा?

अमित शाह का ये दौरा बीजेपी के लिहाज से बेहद खास है। दरअसल, हाल ही में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने की मंजूरी दी है। अब शाह कांग्रेस को जवाब देने के लिए  लिंगायतों और दलितों के मठों का दर्शन करेंगे। इसके जरिए अमित शाह ये संदेश देने की कोशिश करेंगे कि बीजेपी लिंगायत समुदाय और दलित समुदाय के साथ है। लिंगायतों को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने इसमें सेंध लगाने की कोशिश की है, जिससे बीजेपी को नुकसान होता दिखाई दे रहा है। लिहाजा अब शाह अपने दौरे से लिंगायतों और दलितों को अपनी तरफ लाने की कोशिश करेंगे। 

100 सीटों पर असर डालते हैं लिंगायत

बता दें कि कर्नाटक में लिंगायत समुदाय करीब 21 फीसदी है। यही कारण है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों लिंगायतों को अपनी-अपनी तरफ खींचने की कोशिश में लगी हुई है। माना जाता है कि लिंगायत राज्य की 224 सीटों में से कम से कम 100 सीटों पर हार-जीत तय करते हैं। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि साल 2013 में चुनाव के वक्त बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाया था तो लिंगायतों ने बीजेपी को वोट नहीं दिया था और बीजेपी हार गई थी। क्योंकि येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं और इस बार बीजेपी ने येदियुरप्पा को सीएम कैंडिडेट बनाया है। 

लिंगायत समुदाय को धर्म की मंजूरी दी

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने लिंगायत समुदाय के लोगों को अलग धर्म का दर्जा देने वाले सुझाव को मंजूरी दे दी। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि राज्य में लिंगायतों की आबादी करीब 21% है। इसके साथ ही बीजेपी के सीएम कैंडिडेट के दावेदार बीएस येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से आते हैं। ऐसे में लिंगायत अभी तक बीजेपी के पक्ष में माना जा रहा था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने लिंगायतों को अलग धर्म की मंजूरी देकर बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।

कर्नाटक में बीजेपी को वापसी की उम्मीद

कर्नाटक ही एकमात्र बड़ा राज्य बचा है, जहां कांग्रेस की सरकार है। कर्नाटक में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी को यहां वापसी की उम्मीद है। साउथ इंडिया का कर्नाटक ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां बीजेपी सत्ता में रह चुकी है। कर्नाटक में अभी कांग्रेस की सरकार है और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री हैं। 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने यहां की 224 सीटों में से 122 सीटें जीती थी, जबकि बीजेपी ने 40 और एचडी देवगौडा की जनता दल (सेक्यूलर) ने भी 40 सीटों पर कब्जा किया था। विधानसभा चुनावों में बीजेपी भले ही कुछ खास न कर पाई हो, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां की 28 सीटों में से 17 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 9 सीटें ही गई थी।

Created On :   26 March 2018 11:53 AM IST

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