इजाद से लेकर अब तक अलग अलग कफ सिरप हो चुके हैं बैन का शिकार, हेरोइन ड्रग भी रह चुकी है ऐसे सिरप का हिस्सा, जानिए दिलचस्प इतिहास

Amidst the controversy over cough syrup, know interesting facts related to it,
इजाद से लेकर अब तक अलग अलग कफ सिरप हो चुके हैं बैन का शिकार, हेरोइन ड्रग भी रह चुकी है ऐसे सिरप का हिस्सा, जानिए दिलचस्प इतिहास
कफ सिरप पर बैन इजाद से लेकर अब तक अलग अलग कफ सिरप हो चुके हैं बैन का शिकार, हेरोइन ड्रग भी रह चुकी है ऐसे सिरप का हिस्सा, जानिए दिलचस्प इतिहास
हाईलाइट
  • 1895 में बेयर नाम की जर्मन कंपनी ने कफ सिरप को बनाया था

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में गंबिया में कफ सिरप के सेवन से 66 बच्चों ने अपनी जान गंवा दीं। इन कफ सिरप में 4 ऐसी दवाईयां हैं जो भारत में निर्मित हुई हैं। इन दवाईयों के हानिकारक प्रभाव को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने इनको लेकर प्रोडक्ट अलर्ट जारी किया है। इस मामले के बाद कफ सीरप को लेकर लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो रहे हैं? सभी जानना चाहते हैं कि दुनिया के पहले कफ सीरप का निर्माण कब हुआ था? इसे किसने और कब बनाया? इसके पहले लोग खांसी को ठीक करने के लिए क्या उपाय करते थे? 

इस देश में बना था पहला कफ सिरप

दुनिया के पहले कफ सीरप का निर्माण यूरोपीय देश जर्मनी में हुआ था। 1895 में बेयर नाम की जर्मन कंपनी ने कफ सिरप को बनाया था। इस कफ सीरप को कंपनी ने हेरोइन नाम दिया था। खास बात यह है कि इसका निर्माण उसी टीम ने किया था जिसने एस्प्रिन दवा बनाई थी। बता दें कि एस्प्रिन का उपयोग बुखार के अलावा मांसपेशियों के दर्द, दांतों के दर्द, सर्दी जुकाम और सिर दर्द में आराम के लिए किया जाता है। यह आर्थराइटिस में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने के लिए भी इस्तेमाल होता है। एस्प्रिन जैसी अच्छी दवा बनाने की वजह से इस टीम के बनाए कफ सीरप पर भी लोगों ने भरोसा जताया था। 

हेरोइन कफ सिरप के बनने से पहले लोग खांसी से आराम पाने के लिए अफीम की सहायता लेते थे। अफीम के इस्तेमाल से खांसी में आराम मिलने के साथ ही शरीर के दर्द में भी आराम मिलता था। इसका कारण था अफीम का शरीर में प्रवेश कर टूटना और मॉरफीन में बदल जाना। बता दें कि आज भी युद्ध में शामिल होने वाले सैनिकों को दर्द से राहत देने के लिए मॉरफीन के इंजेक्शन या दवाएं दी जाती हैं। 

प्राचीन मिस्त्र और 18वीं सदी के दौरान अमेरिका में लोग कफ अफीम की सहायता से ही सिरप बनाते थे। इसी को ध्यान में रखते हुए बेयर कंपनी ने सोचा कि अफीम की सहायता से बने हेरोइन कफ सीरप से हम लोगों को खांसी से राहत दिला सकते हैं। इसके अलावा इसके सेवन से नशा कम होगा, नींद ज्यादा नहीं आएगी, साथ ही दर्द और निमोनिया में राहत मिलेगी। दरअसल, बेयर कंपनी के लिए कफ सिरप बनाने वाली टीम ने देखा कि मॉरफीन को ज्यादा समय तक उबालने पर डाइएसिटिलमॉरफीन निकलता है, जो कि काफी फायदेमंद होता है।

कफ सिरप निर्माता कंपनी ने इस दवा का नाम हेरोइन रखा। यह नाम रखने के पीछे कंपनी की सोच थी कि लोग अफीम के प्रभाव वाली घरेलू या फिर हकीम द्वारा निर्मित कफ सिरप के दुष्प्रभाव से बच सकें। हेरोइन के बाजार में आने के बाद लोगों ने इसका तहे दिल से स्वागत किया। इस दवा के सेवन से लोगों की खांसी ठीक होने के अलावा टीबी जैसी जानलेवा रोग में राहत मिल रही थी। डॉक्टरों ने भी लोगों को अफीम और कोकीन वाली दवाओं की जगह हेरोइन को देना शुरु कर दिया था। 

अपने निर्माण से 4 साल बाद ही इस दवा का विरोध होने लगा। कारण था, लोगों को हेरोइन की लत लगना। विरोध को बढ़ते देख बेयर कंपनी ने इस दवा को बनाना बंद कर दिया था। इस दवा के दुष्प्रभाव के चलते अमेरिकी सरकार ने भी अपने देश में इस दवा पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद एक और कफ सीरप बाजार में आई। जिसका नाम वन नाइट कफ सीरप था। इसके बारे में कहा जाता है कि इसमें बहुत सारी नशीली वस्तुएं मिली होती थीं। 1898 में निर्मित इस दवा में अल्कोहल, कैनाबिस, क्लोरोफॉर्म और मॉरफिन मिलाया जाता था। 

कफ सिरप के पहले इस तरह होता था खांसी का इलाज

कफ सिरप का निर्माण होने से पहले वैध-हकीम या घरेलू उपचारों के जरिए खांसी का इलाज किया जाता था। वैध-हकीम के पास जब कोई खांसी का मरीज आता था तो वो उन्हें अलग-अलग चीजों से बना सिरप देते थे। भारत में इसका इलाज आयुर्वेद के अनुसार किया जाता था। वैध तुलसी, अदरक, काली मिर्च, हल्दी और मुलेठी जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की सहायता से लोगों का इलाज करते थे। वहीं मिस्त्र, अमेरिका और यूरोप में खांसी का उपचार अफीम, मॉरफीन और हेरोइन के जरिए किया जाता था। गौरतलब है कि अफीम, मॉरफीन और हेरोइन बहुत नशीली वस्तुएं हैं, लोग इनकी लत का शिकार हो जाते हैं। इनके सेवन से दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। यहां तक कि यदि इनका सेवन ज्यादा हो तो इंसान की मौत तक हो जाती है।  

आज के कफ सिरप में होती है केमिकलों की भरमार

आज के समय में कई दवा कंपनियां कफ सिरप का निर्माण करती हैं। इन कफ सिरपों में भी कई ऐसे होते हैं जिनमें नशीले पदार्थों को मिलाया जाता है। इनमें डेक्स्ट्रोमेथॉसफैन नाम का रसायन मिला होता है जो कि अफीम से बनाया जाता है। इनका ज्यादा इस्तेमाल से लोगों को हेल्यूसिनेशन होता है। इन सीरप में शामिल होने वाला दूसरा रसायन है प्रोमेथाजिन-कोडिन। अफीम से निर्मित यह रसायन मॉरफीन और हेरोइन के मुकाबले कम नशीला रहता है। इस वजह से यह डॉक्टर की पर्ची से ही मिल जाता है। 

आज के कफ सीरप के निर्माण में उपयोग होने वाला तीसरा रसायन है बेनजोनाटेट। बाकि दोनों रसायनों के मुकाबले कम नशीला रसायन है। इसे खांसी को कम करने के लिए सबसे अच्छा कफ सिरप माना जाता है। 


 

Created On :   6 Oct 2022 12:39 PM GMT

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