Republic Day: कुछ ऐसे मनाया गया था देश का पहला गणतंत्र दिवस
- छोटे विमानों द्वारा हवाई प्रदर्शन किया गया था
- पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रसाद ने ध्वजारोहण किया था
- सारी दिल्ली को दुल्हन के समान सजाया गया था
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हम रविवार को भारत का 71वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं और भारत में इस दिन का एक विशेष महत्व रहता है। सभी जानते हैं कि 26 जनवरी 1950 को सारे देश में भारत का संविधान लागू किया गया था, इसी उपलक्ष्य में हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं। इस बीच शायद ही कुछ लोग होंगे, जिन्हें ये पता हो कि आज से 70 साल पहले हमने राजधानी दिल्ली में पहला गणतंत्र दिवस किस तरह से मनाया था। तो आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर कैसा था 1950 का जश्न -
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- पहले गणतंत्र दिवस में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा ध्वजारोहण किया गया था।
- गणतंत्र दिवस की परेड, दिल्ली के पुराने किले के सामने ब्रिटिश स्टेडियम में की गई थी। अब इस जगह नेशनल स्टेडियम है।
- तत्कालीन ब्रिटिश स्टेडियम में सबसे पहले तोपों की सलामी दी गई थी। इससे पुराना किला गूंज उठा था।
- पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, पूर्व गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना आजाद और चक्रवर्ती राजगोपालाचारी भी मौजूद थे। राजगोपालाचारी भारत के अंतिम गवर्नर जनरल थे।
- 26 जनवरी 1950 की परेड मौजूदा समय की तरह राजपथ से लाल किले तक नहीं, बल्कि ब्रिटिश स्टेडियम में ही हुई थी। हालांकि परेड देखने के लिए भारी तादाद में लोग कनॉट प्लेस तक पहुंचे थे।
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- स्पिटफायर और डकोटा जैसे छोटे विमानों ने हवाई करतब का प्रदर्शन किया था।
- इस दिन सारी दिल्ली को कई रंगों से दुल्हन की तरह सजाया गया था। गुरुद्वारा शीश गंज में बहुत बड़े लंगर का आयोजन किया गया, फूलमंडी के दुकानदारों ने फूलों से सड़कें सजा दीं और फतेहपुरी के मुसलमानों ने घर में पकवान बनाकर लोगों में खुशी से बांटा था।
- चांदनी चौक के मशहूर घंटेवाला हलवाई इतने खुश थे कि उन्होंने पूरे इलाके में दुकान की सारी मिठाईयां बटवां दी थी।
- वायसराय भवन (मौजूदा समय में राष्ट्रपति भवन), केंद्रीय सचिवालय, इंडिया गेट, साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लॉक रात के समय में रोशनी से जगमगा रहे थें।
- इस दिन सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि सारा देश शायर मुहम्मद इकबाल के "सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा" गीत में झूम रहे थें। मुहम्मद इकबाल, विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए, उन्हें "पाकिस्तान का आध्यात्मिक पिता" कहा जाता है।
संविधान का अंगीकरण
संविधान के प्रारूप पर खंडवार विचार 15 नवंबर 1948 से 17 अक्टूबर 1949 के दौरान पूरे कर लिए गए। इसके प्रारूपण समिति ने प्रारूप में आवश्यक संशोधन कर अंतिम संविधान प्रारूप तैयार किया, जिसे 26 नवंबर 1949 को स्वीकृत कर लिया गया। इस दिन संविधान सभा में भारत की जनता ने अपने देश के प्रभुत्व संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य का संविधान स्वीकार किया और उसे अधिनियमित करने के साथ-साथ स्वयं को अर्पित भी किया। इसके ठीक दो महीने बाद यानी 26 जनवरी 1950 को इसे देशभर में लागू कर दिया गया। बता दें कि संविधान सभा को संविधान बनाने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा, जिसे राजभाषा हिंदी और अंग्रेजी में लिखा गया है।
Created On :   25 Jan 2020 1:53 PM IST