किसने दिया था नाम 'इंडिया', 'भारत' नाम के कहां मिलते हैं साक्ष्य, संविधान में क्यों लिखा गया 'इंडिया दैट इज भारत', नाम से जुड़ा है दिलचस्प इतिहास
- G20 समिट में शामिल होंगे वर्ल्ड लीडर्स
- राष्ट्रपति भवन में 9 सितंबर को होगा डिनर का आयोजन
- भारत और इंडिया नाम से जुड़े तथ्य
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। G20 समिट में शामिल होने वाले वर्ल्ड लीडर्स के लिए राष्ट्रपति भवन में 9 सितंबर को डिनर का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन से पहले ही देश में एक नया विवाद खड़ा हो गया है जिसकी शुरूआत 9 सितंबर को डिनर होने वाले डियर के लिए भेजे गए आमंत्रण पत्र से हुई है। दरअसल आमंत्रण पत्र में 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा हुआ है। जिसे विपक्ष मान रहा है कि यह परंपरा से हटकर लिखा गया है पहले 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' का ही इस्तेमाल किया जाता था।
प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखे जाने पर अब विपक्ष सरकार पर सवाल उठा रहा है वहीं कुछ लोग सरकार के इस फैसले का समर्थन भी कर रहे हैं। इस विवाद ने अब इतना बड़ा रूप ले लिया है कि इंडिया या भारत पर बहस छिड़ गयी है।
मंगलवार को बंगाल बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस मामले में कहा कि इंडिया नाम हमें अंग्रेजों ने दिया है और इससे मुक्ति पाने की जरूरत है।
देश के नाम को लेकर जब विवाद खड़ा हुआ तो हजारों साल के इतिहास को फिर से खंगाला जाने लगा है। भारत या इंडिया दोनों ही नामों को लेकर अलग-अलग तर्क और सवाल भी सामने आने लगे हैं। जिसमें प्रमुख रुप से इस भूखंड का नाम भारत कैसे पड़ा? देश को सबसे पहले इंडिया किसने कहा? क्या इंडिया नाम अंग्रेजों ने दिया? इस तरह के कई सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं।
आइए जानते हैं कि हमारे देश को इंडिया नाम किसने दिया, यह नाम कैसे प्रचलन में आया साथ ही इस मामले से जुड़े कुछ तथ्य।
आजादी के बाद देश के नाम को लेकर 18 सितंबर 1949 को संविधान सभा में चर्चा हुई थी। बहस में भारत, हिंदुस्तान, हिंद और इंडिया जैसे विकल्पों पर भी चर्चा हुई। नाम को लेकर हुई संविधान सभा की इस बहस में सेठ गोविंद दास, कमलापति त्रिपाठी, श्रीराम सहाय, हरगोविंद पंत और हरि विष्णु कामथ जैसे प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया था। चर्चा के दौरान हरि विष्णु कामथ ने सुझाव दिया था कि इंडिया अर्थात् भारत को भारत या फिर इंडिया में बदल दिया जाए। लेकिन उनके बाद असहमति जताते हुए सेठ गोविंद दास ने भारत के ऐतिहासिक संदर्भ का हवाला देते हुए देश का नाम सिर्फ भारत रखने पर बल दिया था।
डॉ बी. अंबेडकर की ड्राफ्ट कमेटी ने सुझाव दिया - India, that is, Bhara इस पर काफी बहस हुई। लेकिन अंत में यही नाम स्वीकार कर लिया गया। भारतीय संविधान में देश का नाम इंडिया और भारत दोनों ही है। संविधान के अनुच्छेद-1 में देश के नाम को परिभाषित किया गया है जिसमें कहा गया है- 'इंडिया दैट इज भारत'
इंडिया शब्द का सबसे पहले प्रयोग
इतिहासकार मानते हैं कि सबसे पहले इंडिया शब्द का प्रयोग ग्रीकों ने किया। सिंधु नदी को ग्रीक भाषा में इंडस के नाम से जानते थे जो लैटिन भाषा से लिया गया है। यूनान के इतिहाससकार हेरोटोस ने 440 ईसा पूर्व इंडिया शब्द का प्रयोग किया था। हेरोटोस ने ईरान और तुर्की से इंडिया की तुलना करते हुए कहा था कि इंडिया स्वर्ग जैसा है।
वहीं वर्ल्ड हिस्ट्री वेबसाइट के अनुसार 300 ईसा पूर्व यूनान के राजदूत मेगस्थनीज ने पहली बार सिंधु नदी के पार के इलाके के लिए इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया था। मेगस्थनीज यूनान का एक राजदूत था। जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। उसने अपनी किताब का नाम 'इंडिका' रखा। तब देश में हिन्दू, हिन्दवान,हिन्दू जैसे शब्द भी प्रचलित थे।
इंडिया शब्द का इस्तमाल बड़े पैमाने पर तब शरू हुआ जब 1948 में पुर्तगाली यात्री वास्को डि गामा ने भारत तब पहुंचने के लिए समुद्री मार्ग की खोज की। जिसके बाद से ही यूरोपीय लोगों का भारत आना तेजी से बढ़ा। यूरोपीय शक्तियां भारत को ईस्ट इंडिया कहती थीं। बाद में भारत आने और व्यापार को बढ़ाने के लिए ब्रिटेन, फ्रांस, पुर्तगाल, डच सभी ने अपनी इस्ट इंडिया कंपनियां बना ली। उस समय जब मुगलों का भारत में प्रभाव था तब हमारे देश को हिन्दुस्तान के नाम से जाना जाता था।
इतिहासकार मानते हैं कि यूरोपियनों को इस शब्द को बोलने में परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इसी बीच अंग्रेजों का इस बात का पता चला की भारत की सभ्यता सिंधु घाटी है जिसे इंडस वैली के नाम से भी जाना जाता है। इंडस को लैटिन भाषा में इंडिया भी कहते हैं। तभी से उन्होंने भारत को इंडिया कहना प्रारंभ कर दिया और समय के साथ-साथ यह शब्द तेजी लोकप्रिय हो गया। भारत के नाम को इंडिया के रूप में भले ही अंग्रेजों ने लोकप्रिय किया लेकिन मौलिक रूप से इंडिया नाम ग्रीक ने दिया था।
कहां-कहां है भारत नाम का उल्लेख
भारत का सबसे पुराना नाम आर्यवर्त माना जाता है। इसके अलावा भारत के भारतवर्ष, जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिंदुस्तान, हिंद, अल-हिंद, ग्यागर, फग्युल, तियानझू, होडू आदि नामों से भी जाना जाता था
इन सभी नामों में सबसे ज्यादा प्रचलित नाम रहा भारत। जानते हैं कि आखिर सबसे प्रचलित नाम भारत कैसे पड़ा। पौराणिक मान्यताओं में भारत नाम के पीछे दुष्यंत के बेटे भरत का ही जिक्र आता है। ऋग्वेद की एक शाखा ऐतरेय ब्राह्मण में भी दुष्यंत के बेटे भरत के नाम पर ही भारत नामकरण का तर्क है। जिसमें भरत को एक चक्रवर्ती राजा बताया गया है यानी चारों दिशाओं को जीतने वाला राजा। वहीं ऐतरेय ब्राह्मण में इसका भी जिक्र है कि भरत ने चारों दिशाओं को जीतने के बाद अश्वमेध यज्ञ किया इसी वजह से उनके राज्य को भारतवर्ष कहा गया।
पौराणिक काल में भरत के नाम को लेकर कई उदाहण मिलते हैं। जिसमें राजा दशरथ के बेटे और भगवान राम के छोटे भाई भरत। नाट्यशास्त्र के रचयिता भरतमुनि और दुष्यंत और शकुंतला के बेटे भरत जिनका जिक्र महाभारत में किया गया है। भरत को महाभारत में सोलह सर्वश्रेष्ट राजाओं में गिना जाता है।
जैन धर्म के धार्मिक ग्रंथों में भी कहा जाता है कि भगवान ऋषभदेव के बड़े बेटे महायोगी भरत के नाम पर देश के नाम पर भारतवर्ष रखा गया।
भारत की व्याख्या करने वाले श्लोक
विष्णु पुराण के इस श्लोक में की गई भारत की व्याख्या
विष्णु पुराण में एक श्लोक है जिसे लेकर कहा जाता है कि इस श्लोक में भारत की स्पष्ट व्याख्या की गई है।
श्लोक हैं....
उत्तर यत्समुद्रस्य हिताद्रेश्चैव दक्षिणम।
वर्ष तत भारतम नाम भारती यत्र सन्ततिः।।
यानी, जो समुद्र के उत्तर व हिमालय के दक्षिण में है, वह भारतवर्ष है और हम उसकी संतानें हैं।
लिंग पुराण में भी श्लोक कहता है-
सोभिचिन्तयाथ ऋषभो भरतं पुत्रवत्सल:
ज्ञानवैराग्यमाश्रित्य जित्वेन्द्रिय महोरगान्।
हिमाद्रेर्दक्षिण वर्षं भरतस्य न्यवेदयत्।
तस्मात्तु भारतं वर्ष तस्य नाम्ना विदुर्बुधा:।
यानी अपने इन्द्रिय रूपी सांपों पर विजय पाकर ऋषभ ने हिमालय के दक्षिण में जो राज्य भरत को दिया तो इस देश का नाम तब से भारतवर्ष पड़ा।
कूर्मपुराण के पूर्वभाग के अध्याय 47 के श्लोक 21 कहता है-
भारते तु स्त्रियः पुंसो नानावर्णाः प्रकीर्तिताः।
नानादेवार्चने युक्ता नानाकर्माणि कुर्वते॥
अर्थात भारत के स्त्री-पुरुष अलग-अलग वर्ण के हैं, उनके आराध्य अलग-अलग हैं और वह अलग-अलग रस्म और रिवाज के अनुसार अपने कार्य करते हैं।
इन सभी के अलावा स्कंद पुराण, वायु पुराण, ब्रह्मांड पुराण, अग्नि पुराण और मार्कंडेय पुराण आदि में भी भारत के नाम का जिक्र किया गया है। हिंदु धर्म से जुड़े हुए कोई भी अनुष्ठान जब किए जाते हैं तो शुरुआत में ही एक संकल्प लेना होता है जिसमें भारत के कई नाम आते हैं।
श्लोक कहता है-
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य, अद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीये पर्राधे श्रीश्वेतवाराहकल्पे, वैवस्वतमन्वन्तरे, भूर्लोके, जम्बूद्वीपे, भारतर्वषे, भरतखण्डे, आर्यावर्त्तैकदेशान्तर्गते।
इस श्लोक के बाद क्षेत्र के नाम, विक्रम संवत, महीने का नाम पक्ष,तिथि के साथ ही कई चीजों का जिक्र किया जाता है लेकिन इस संकल्प में देश के कई नामों का जिक्र आता है जैसे जम्मूद्वीप, आर्यावर्त के साथ ही भारतबर्ष और भरतखंड भी शामिल है।
Created On :   6 Sept 2023 1:16 PM GMT