डॉ. मनमोहन सिंह की कहानी: पीएम बनने के बाद सरहद पार कर मिलने आए उनके दोस्त, 100 साल पुरानी शॉल, गांव की मिट्टी में मिलाकर लाए थे प्रेम

पीएम बनने के बाद सरहद पार कर मिलने आए उनके दोस्त, 100 साल पुरानी शॉल, गांव की मिट्टी में मिलाकर लाए थे प्रेम
  • डॉ. मनमोहन सिंह के पीएम बनने के बाद आए उनके मित्र
  • अपनी सेवेंटीज में दोनों ने की थी मुलाकात
  • 100 साल पुराना शॉल, गांव की मिट्टी, पानी, फोटो लाए थे साथ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान पार्टिशन में लाखों लोगों को देश छोड़कर भागना पड़ा था। ऐसे में लोगों को घर के साथ-साथ रिश्तेदार, दोस्त, पड़ोस सब कुछ छोड़ना पड़ा था। ऐसी ही कहानी पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह की भी है। उनको भी पाकिस्तान छोड़कर भारत में आना पड़ा था। बता दें, भारत के पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का कल निधन हो गया था। जिसके बाद उनके पाकिस्तानी दोस्त भी काफी चर्चा में चल रहे हैं।

कब हुआ था डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म?

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को पंजाब प्रांत के गाह में हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान के हिस्से में आता है। पार्टिशन के समय डॉ. मनमोहन सिंह भारत में आ गए थे और उनके दोस्त रजा मोहम्मद अली पाकिस्तान में ही रह गए थे। बिछड़ने के करीब 60 सालों बाद दोनों दोस्तों ने मिलने का मन बनाया। जिसके बाद साल 2004 में मनमोहन सिंह पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे। जिसको सुनकर उनके दोस्त रजा अली बहुत ही ज्यादा खुश हो गए थे और डॉ. मनमोहन सिंह से मिलने के लिए दिल्ली आने का मन बना लिया। जिसके बाद वे 4 साल बाद, साल 2008 में भारत आए थे।

कैसे थे दोनों दोस्त?

मनमोहन और रजा अली पाकिस्तान के प्राइमरी स्कूल में साथ में पढ़ते थे। राजा अली अपने दोस्त को प्यार से 'मोहना' बुलाते थे। राजा अली अपने मोहना के लिए गाह गांव की मिट्टी, पानी एक जोड़ी जूते और गांव की फोटो लेकर आए थे। उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह को 100 साल पुराना शॉल और उनकी पत्नी गुरुशरण कौर को दो सूट भी दिए थे। मनमोहन सिंह ने उनको रिटर्न गिफ्ट के रूप में पगड़ी, शॉल और टाइटन की घड़ी दी थी।

राजा अली ने क्या-क्या बताया?

राजा अली ने भारत आने से पहले रिपोर्टर्स से बातचीत की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि, 'मनमोहन मेरे साथ समय बिताने जरूर आएगा, मुझे पूरा भरोसा है। हम दोनों बचपन में साथ में स्कूल में पढ़ते थे, साथ ही वो मेरे साथ ही मोहल्ले में खेलता था। मनमोहन पढ़ने में भी बहुत तेज था। वो रोज सुबह अपने जेब में ड्राई फ्रूट्स भर कर लाता था और दोस्तों में बांट देता था।'

उन्होंने आगे कहा, मोहना के प्रधानमंत्री बनने से पूरा गांव बहुत ही ज्यादा खुश हुआ और खबर मिलने के बाद गाह गांव में भारी जश्न मनाया गया था। इसके अलावा उनके स्कूल का नाम बदलकर भी मनमोहन सिंह हाई स्कूल कर दिया गया था।

Created On :   27 Dec 2024 5:27 PM IST

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