जम्मू-कश्मीर के नए सीएम: सीएम तो बन गए, सरकार चलाना नहीं होगा आसान, उमर अब्दुल्ला की पहली पारी से बहुत अलग होगी ये पारी, आ सकती हैं ये मुश्किलें!

सीएम तो बन गए, सरकार चलाना नहीं होगा आसान, उमर अब्दुल्ला की पहली पारी से बहुत अलग होगी ये पारी, आ सकती हैं ये मुश्किलें!
  • उमर अब्दुल्ला बने राज्य के नए सीएम
  • केंद्र शासित प्रदेश होने के बाद आए हैं कई बदलाव
  • क्या हैं सीएम और उपराज्यपाल की शक्तियों में अंतर?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर साल 2019 में केंद्र शासित राज्य बना था। जिसके 5 साल बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर को अपना पहला सीएम मिला है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के नए सीएम बने हैं। इन्होंने बुधवार को सीएम पद की शपथ ग्रहण की है साथ ही सकीना इटू, जावेद डार, सुरिंदर चौधरी, जावेद राणा, सतीश शर्मा ने भी मंत्री पद की शपथ ग्रहण की है। सुरिंदर चौधरी को डिप्टी सीएम बनाया गया है।

पहले भी रह चुके हैं सीएम

उमर अब्दुल्ला पहले भी साल 2009 से 2014 तक जम्मू-कश्मीर के सीएम रह चुके हैं। लेकिन बात करें हालातों की तो तब और अब के हालातों में और कानून में काफी फर्क आ चुका है। तब जम्मू-कश्मीर पूरा एक राज्य हुआ करता था और केंद्र शासित नहीं था। अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है। तब जम्मू-कश्मीर के विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का था अब और राज्यों की तरह ही 5 साल हो गया है। तब राज्य से जुड़े सारे फैसले विधानसभा और सीएम लेते थे लेकिन अब अधिकांश कंट्रोल उपराज्यपाल के पास होगा।

क्या है इन बदलावों का कारण?

साल 2019 में संसद में जम्मू-कश्मीर रिऑर्गनाइजेशन एक्ट पास किया था। जिसके बाद जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया। साथ ही राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया और दो अलग केंद्र शासित देश बना दिए गए। जिसमें एक जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 239 में लिखा है कि, हर केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन राष्ट्रपति के पास ही होगा। इसके लिए राष्ट्रपति ही हर केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक प्रशासक की नियुक्ति करेंगे। अंडमान-निकोबार, दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल होते हैं। वहीं दमन-दीव और दादरा नागर हवेली, लक्षद्वीप, चंडीगढ़ और लद्दाख में प्रशासक होते हैं।

जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल और सीएम के पास कौन सी हैं पावर?

केंद्र शासित राज्य होने के पहले विधानसभा के पास कई सारी शक्तियां थीं। लेकिन साल 2019 के बाद जब राज्य केंद्र शासित हो गया तब वहां की ज्यादा से ज्यादा जिम्मेदारियां उपराज्यपाल के पास आ गईं। साल 2019 के कानून के मुताबिक, पुलिस और कानून व्यवस्था को छोड़कर जम्मू-कश्मीर विधानसभा और मामलों पर कानून बना सकती है। साथ ही अगर राज्य सूची में शामिल किसी भी विषय पर कानून बनता है तो इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि इससे केंद्रीय कानून पर असर ना हो। उपराज्यपाल के पास राज्य की ज्यादा से ज्यादा और बड़ी से बड़ी सारी जिम्मेदारियां हैं।

Created On :   16 Oct 2024 3:37 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story