ऐतिहासिक पल: इसरो के हाथ लगी बड़ी सफलता, L1 प्वॉइंट पर पहुंचा सूर्य मिशन, अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने रचा इतिहास

इसरो के हाथ लगी बड़ी सफलता, L1 प्वॉइंट पर पहुंचा सूर्य मिशन, अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने रचा इतिहास
  • L1 प्वॉइंट पर पहुंचा आदित्य एल1 मिशन
  • पीएम मोदी ने दी बधाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नए साल के मौके पर इसरो (ISRO) के वैज्ञानिकों ने इतिहास रच दिया है। भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 अब अपने मंजिल यानी हालो ऑर्बिट पर पहुंच चुका है। पिछले साल 2 सितंबर को इसे लॉन्च किया गया था। इस तरह करीब 4 महीने की यात्रा के बाद इसरो वैज्ञानिकों को शनिवार शाम को चार बजे के आस-पास बड़ी सफलता हाथ लगी। आदित्य एल1 अब हालो ऑर्बिट पर इंसर्ट हो गया है। इसी के साथ भारतीय वैज्ञानिकों ने दुनिया में अपनी एक नई कामयाबी की इबादत लिख दी है। इस मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी है।

पीएम मोदी ने दी बधाई

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया X के जरिए कहा कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की है। देश की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य पर पहुंच गई है। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के लिए यह साल शानदार रहा। पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में टीम ISRO द्वारा लिखी गई एक और सफलता की कहानी। सूर्य-पृथ्वी कनेक्शन के रहस्यों की खोज के लिए आदित्य एल1 अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है।

वहीं, केरल के तिरुवनंतपुरम पहुंचे विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ISRO के सौर मिशन आदित्य-एल1 के हेलो ऑर्बिट में प्रवेश करने पर कहा कि यह एक महान उपलब्धि है। चंद्रयान की तरह यह भी हमारे लिए गौरव का क्षण है।

बता दें कि अपने आखिरी स्टेज यानी लैग्रेंजियन प्वाइट पर पहुंचने के बाद यह अंतरिक्ष यान बिना किसी ग्रहण के सूर्य को देख सकेगा। इससे पहले इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया था कि, ''जब यह एल1 प्वाइंट पर पहुंचेगा, हमें इंजन को एक बार फिर से चालू करना होगा ताकि यह आगे न बढ़े। यह उस प्वाइंट तक जाएगा और एक बार जब यह वहां पहुंच जाएगा तो उसके चारों ओर घूमेगा और L1 पर ही रह जाएगा।'' उन्होंने बताया कि आदित्य L-1 के गंतव्य तक पहुंचने के बाद वह अगले 5 सालों तक सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का पता लगाने में मदद करेगा।"

क्यों अहम है मिशन?

400 करोड़ की लागत से निर्मित आदित्य एल 1 एक सैटेलाइट यान है जिसका वजन करीब 15 सौ किलो है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इस मिशन का लक्ष्य पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित एल1 यानी लैगेंजियन प्वाइंट के करीब की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है। लैग्रेंज प्वाइंट वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के मध्य गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है।

ये लगातार दूसरी बार है जब इसरो का कोई अंतरिक्ष यान पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर निकला हो। पहली बार ऐसा मंगल ऑर्बिटर मिशन के दौरान संभव हो पाया था। बता दें कि, आदित्य एल1 स्पेसक्राफ्ट को इसरो द्वारा दो सितंबर को लॉन्च किया गया था। यह स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी और सूरज के एल1 प्वाइंट के करीब हैलो ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। इस जगह से पृथ्वी की दूरी करीब 15 लाख किलोमीटर है।

कितना खास है यह मिशन?

गौरतलब है कि इस मिशन के जरिए मौसम की गतिशीलता, सूर्य के तापमान, पराबैंगनी के धरती पर प्रभावों का पता लगेगा। साथ ही, सूर्य की हानिकारक किरणों को रोकने वाली पृथ्वी की ओजोन परत के बारे में अध्ययन किया जाएगा। वैज्ञानिकों ने बताया कि सूर्य के अध्ययन से मौसम की भविष्यवाणी सटीक तरीके से की जाएगी। आदित्य-एल 1 के जरिए तूफान की तुरंत जानकारी मिलेगी, जिसके खतरे को भाफते हुए अलर्ट जारी किया जा सकेगा। जानकारी के मुताबिक, आदित्य एल1 मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) को पुणे स्थित इंटर- यूनिवर्सिटी सेटंर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) ने तैयार किया है।

पूरे मिशन को आदित्य एल1 मिशन के रूप में जाना जाएगा, जिसमें आदित्य नाम सूर्य के नाम पर भी रखा गया है। यह मिशन धरती से 15 लाख किलोमीटर दूरी का सफर तय करेगा। सूर्ययान हमें मौसम समेत कई अहम चीजों के बारे में जानकारी उपल्ब्ध कराएगा। इस स्पेसक्राफ्ट में 7 अडवांस पेलोड्स लगे होंगे। इसके जरिए सूर्य की विभिन्न परतों के बारे में भी अध्ययन किया जाएगा।

भारत के लिए बेहद खास है यह मिशन

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान सूर्य को करीब से जानने के लिए आदित्य एल 1 भारत के लिए बेहद ही खास है क्योंकि, इसरो सूर्य के लिए पहली बार कोई अपना मिशन भेजा है। वो पृथ्वी से अतंरिक्ष में करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। यहां से आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला है।

क्या है आदित्य-एल1?

आदित्य-एल1 को खास तौर पर डिजाइन किया गया है। इस यान को सूर्य के परिमंडल के दूर से अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी के लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है। अब आदित्य-एल1 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है, इसरो इस यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल1 प्वाइंट की कक्षा में स्थापित कर दिया है। इस प्वाइंट पर स्थापित करने का इसरो का मुख्य उद्देश्य गुरुत्वाकर्षण को बेअसर करना है क्योंकि इस प्वाइंट पर सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बेअसर रहते हैं, जिसकी वजह से वस्तुएं इस जगह पर टिक जाती हैं। इसे सूर्य और पृथ्वी के अंतरिक्ष में पार्किंग प्वाइंट के नाम से भी जाना जाता है।

Created On :   6 Jan 2024 6:01 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story