चांद पर लैंडिंग के बाद अब सूरज पर ISRO की नजर, पांच साल चलने वाले प्रोजेक्ट के जरिए खंगाले जाएंगे 'आग के गोले' के राज

चांद पर लैंडिंग के बाद अब सूरज पर ISRO की नजर, पांच साल चलने वाले  प्रोजेक्ट के जरिए खंगाले जाएंगे आग के गोले के राज
  • चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बना भारत

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने मून मिशन के तहत चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में सफलतापूर्वक लैंडिंग कराकर इतिहास रच दिया। चांद के दक्षिणी ध्रुव में कदम रखने वाला भारत पहला देश है। चांद के दूसरे हिस्से पर भारत से पहले रूस,अमेरिका और चीन सफलतापूर्वक कदम रख चुका है यानि चांद पर कदम रखने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया।

चंद्रयान-3 की सफलता पूर्वक लैंडिग के बाद अब इसरो मिशन सन के तहत सूरज तक पहुंचने की तैयारी कर रहा है। इस मिशन को लेकर भी सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जानकारी के मुताबिक 2 सितंबर को इसरो पीएसएलवी रॉकेट के जरिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर (एसडीएससी एसएचएआर) श्रीहरिकोटा से आदित्य-एल1 को लॉन्च करेगा।

बता दें इसरो के नए मिशन को लेकर इसरो चीफ एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा था कि भारत अब सूरज पर जाने की तैयारी कर रहा है उन्होंने यह भी कहा कि “पिछले कुछ महीनों से अंतरिक्ष एजेंसी का ध्यान चंद्रयान-3 पर था। साथ ही इसरो अन्य परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है जो आने वाले महीनों में उड़ान भरने के लिए तैयार है।”

इसरो का सबसे कठिन मिशन है आदित्य एल1

आदित्य एल1 इसरो का सबसे कठिन मिशन माना जा रहा है। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा था कि मून मिशन की ऐतिहासिक सफलता के बाद भारत अब आने वाले तीन माह में आदित्य एल1 और गगनयान सहित अन्य कई महत्वपूर्ण मिशन लांच करने वाला है। इसरो चीफ कहा था कि “हमारे पास कतार में कई बड़े मिशन हैं। चंद्रयान-3 के बाद हम आदित्य एल1 को लॉन्च करने जा रहे हैं।”

क्या है मिशन आदित्य एल1?

आदित्य एल1 भारत का एक महत्वपूर्ण मिशन है। इस मिशन को सबसे कठिन मिशनों में से एक माना जा रहा है। जिसके लॉचिंग की तैयारी ईसरो ने पूरी कर ली है। इस मिशन के बारे में जानकारी देते हुए इसरो चीफ ने कहा “ये भारत का पहला सूर्य मिशन है जो सूरज की स्टडी करेगा। इस अंतरिक्ष यान को सितंबर के शुरूआत में लॉन्च करने की तैयारी है। प्रोजेक्ट असेंबल किया जा चुका है और श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र पर ले जाया चुका है।” इसरो की मानें तो आदित्य एल1 अलग-अलग तरह से सूर्य की स्टडी करेगा। आदित्य एल1 में स्पेसक्राफ्ट में सात तरह के वैज्ञानिक पेलोड्स होंगे, जो स्टडी करने में मदद करेगें। जानकारी के मुताबिक यह यान करीब 5 सालों तक सूर्य की स्टडी करेगा।


Created On :   25 Aug 2023 2:22 PM IST

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