कनाडा में खालिस्तानी: भारत -कनाडा के मौजूदा राजनयिक संबंधों पर बोले विदेश मंत्री जयशंकर

भारत -कनाडा के मौजूदा राजनयिक संबंधों पर बोले विदेश मंत्री जयशंकर
  • कनाडा की राजनीति में खालिस्तानियों का बढ़ता दबदबा
  • भारत के साथ कनाडा के लिए भी खालिस्तानी एक खतरा
  • विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर भी साधा निशाना

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और कनाडा के मौजूदा राजनयिक संबंधों पर विदेश मंत्री जयशंकर ने बड़ा बयान दिया। समाचार एजेंसी एएनआई को साक्षात्कार देते हुए जयशंकर ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के सवाल पर कहा कि कनाडा की राजनीति में खालिस्तानी समर्थकों की सीधे तौर पर दखलांदाजी है। विदेश मंत्री ने कहा कि कनाडा की राजनीति ने खालिस्तानी ताकतों की घुसपैठ है। वो वहां की राजनीति में शामिल हैं। उन्होंने इन वजहों को भारत और कनाडा दोनों देशों के बिगड़ते संबंधों के लिए जिम्मेदार ठहराया। खालिस्तानियों का कनाडा की राजनीति में बढ़ता दबदबा दोनों ही देशों के लिए खतरा हैं। खालिस्तानी जितना भारत के लिए खतरा है, उतना ही कनाडा को भी नुकसान होगा।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने व्हाई भारत मैटर्स' पुस्तक पर बताया कि मेरे अंदर के राजनयिक के पास अपने क्षेत्र का ज्ञान और अनुभव है। मेरे अंदर का राजनेता लोगों से इसपर बात करने की आवश्यकता महसूस करता है, दो गाथाएं या कहानियां जिनके साथ हम सभी बड़े हुए हैं, वे रामायण और महाभारत हैं। हम अक्सर रूपकों, स्थितियों और तुलनाओं का बहुत उपयोग करते हैं। हमारे सामान्य जीवन के बारे में अगर मैं बात करूं, तो मैं वहां से कुछ संदर्भ ला सकता हूं। जब हम दुनिया पर चर्चा करते हैं, तो क्या हम ऐसा करने के बारे में सोच सकते हैं? मैंने कोशिश की है कि एक थीम लेकर उसे रामायण की प्रासंगिकता देने का प्रयास किया जाए। उदाहरण के लिए मैंने गठबंधन का उपयोग किया है। भगवान राम कितनी सावधानी से गठबंधन बनाते हैं और गठबंधन बनाने के लिए क्या करना पड़ता है? यह अपने आप नहीं बनता। कूटनीति में आपने मुझे पहले भी यह कहते सुना है कि राजनयिकों के दो प्रमुख उदाहरण हनुमान और श्रीकृष्ण हैं। अंगद या उसकी मां तारा भी ऐसे ही उदाहरण हैं। ये वे लोग हैं जिन्होंने बहुत कठिन परिस्थितियों में भी अपने कूटनीतिक कौशल का इस्तेमाल किया।

कनाडा के साथ- साथ विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर भी निशाना साधा। जयशंकर ने कहा पाकिस्तान भारत से बात करने के लिए आतंकवाद की नीति अपनाता है। पाकिस्तान लंबे समय से सीमा पार से आतंकवाद का इस्तेमाल भारत पर बातचीत के लिए दबाव बनाने के लिए कर रहा है। अब हमने उनकी नीति को ही अप्रासंगिक कर दिया हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा नहीं है कि हम अपने पड़ोसी के साथ बातचीत नहीं करेंगे, परन्तु हम उन शर्तों के आधार पर बातचीत नहीं करेंगे जो उन्होंने (पाकिस्तान) रखी हैं, जिसमें बातचीत की मेज पर लाने के लिए आतंकवाद की प्रथा को वैध और प्रभावी माना जाता है, अब भारत पाक की नीति पर नहीं बल्कि अपनी निर्धारित शर्तों पर बात करेगा।

Created On :   2 Jan 2024 2:54 PM IST

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