नौकरी जमीन घोटाला: दिल्ली हाईकोर्ट ने लालू के करीबी अमित कत्याल की चिकित्सा जांच का दिया निर्देश
- याचिकाकर्ता की तबीयत ठीक नहीं है और वह बीमार हैं- कपिल सिब्बल
- चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत का अनुरोध किया
- नौकरी के बदले जमीन घोटाले का मामले
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी व्यापारी अमित कत्याल की चिकित्सा जांच के निर्देश दिए है। उच्च न्यायालय ने इसके लिए एक चिकित्सा बोर्ड के गठन करने का निर्देश भी दिया है।आरजेडी चीफ के करीबी कत्याल ने भारतीय रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले मामले में चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत का अनुरोध किया है। जिसके चलते हाईकोर्ट ने मेडिकल जांच के आदेश दिए है। अदालत ने याचिकाकर्ता की चिकित्सीय स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए कहा गया है कि वह पीड़ित है। हाईकोर्ट ने माना कि अदालत एक विशेषज्ञ की भूमिका नहीं निभा सकता है और न्यायालय फ़ाइल पर रखे गए मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर याचिकाकर्ता की चिकित्सा स्थिति के संबंध में अपना आकलन नहीं कर सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट का कहना है कि जेल से प्राप्त रिपोर्ट में किसी भी तरह की अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति का संकेत नहीं दिया गया है। आपको बता दें हाली ही में आरोपी की बैरिएट्रिक सर्जरी हुई है, इसलिए एम्स निदेशक को तत्काल कम से कम तीन विभिन्न विशेषज्ञता वाले डॉक्टरों की टीम गठित करने को कहा गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि आरोपी किस प्रकार की बीमारी से ग्रस्त है।
हाईकोर्ट ने कहा, जेल अधीक्षक को याचिकाकर्ता के सभी मेडिकल रिकॉर्ड 11 जून या उससे पहले गठित डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड को सौंपने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आगे कहा कि, विशेषज्ञों की राय के अभाव में कोर्ट के लिए इस नतीजे पर पहुंचना मुश्किल है कि क्या यह मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत देने का मामला है।
अमित कत्याल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विकास पाहवा ने कहा कि मामले के रिकॉर्ड से पता चलता है कि याचिकाकर्ता की तबीयत ठीक नहीं है और वह बीमार और अशक्त है। यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता की अप्रैल, 2024 में बेरिएट्रिक सर्जरी हुई है और उसे ठीक होने के लिए विशेष आहार और उचित देखभाल की आवश्यकता है। आगे यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता को लगातार उल्टी हो रही है और इस प्रकार उसकी ऊर्जा हर समय कम रहती है और वह अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ है और मेडिकल स्थिति रिपोर्ट से भी यही पता चलता है। हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि मानवीय आधार पर, चिकित्सा स्थिति रिपोर्ट से सामने आई याचिकाकर्ता की चिकित्सीय स्थिति को इस तथ्य को देखते हुए खारिज नहीं किया जा सकता है कि रिकॉर्ड पर ऐसी सामग्री है जो बताती है कि याचिकाकर्ता हृदय रोगी है और उसकी बेरिएट्रिक सर्जरी हुई है. हाल ही में इसके अलावा अन्य बीमारियाँ भी हैं।
Created On :   9 Jun 2024 5:16 PM IST