केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से लगा एक और झटका: कोर्ट ने पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट पर लगाई रोक, कहा - 'यह अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ'

कोर्ट ने पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट पर लगाई रोक, कहा - यह अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ
  • सुप्रीम कोर्ट ने पीआईबी की फैक्ट चेक यूनिट लगाई रोक
  • सरकार ने बुधवार को किया था नोटिफाई
  • बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को भी किया रद्द

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड योजना रद्द करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक और झटका दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने पीआईबी के अंतर्गत फैक्ट चेक यूनिट बानाने को लेकर केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी है। मालूम हो कि केंद्र ने बुधवार सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत फैक्ट चेक यूनिट को नोटिफाई किया था। कोर्ट ने कहा, 'यह यूनिट अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।' बता दें कि इस यूनिट का निर्माण केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया पर वायरल हो रही फर्जी सूचनाओं की पहचान करने के साथ उसे प्रतिबंधित करने के लिए किया जाना था।

इसी के साथ कोर्ट ने बाम्बे हाईकोर्ट के 11 मार्च को दिए उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें फैक्ट चेक यूनिट के निर्माण पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका पर फैसला सुनाया।

सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "हमारी राय है कि अंतरिम राहत का अनुरोध खारिज होने के बाद 20 मार्च, 2024 को जारी अधिसूचना पर रोक लगाने की जरूरत है। अनुच्छेद 3 (1) (बी) (5) की वैधता को चुनौती में गंभीर संवैधानिक प्रश्न शामिल हैं और हाईकोर्ट द्वारा फ्रीडम ऑफ स्पीच और अभिव्यक्ति पर नियमों के प्रभाव का विश्लेषण करना जरूरी था।"

बता दें कि पीआईबी यानी प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो यानी पीआईबी फैक्ट चेक माध्यम से सरकार से संबंधित खबरें जो कि गलत दावे के साथ प्रिंट, डिजिटल मीडिया या फिर सोशल मीडिया पर वायरल होती हैं उनका खंडन करता है। वह सरकार की छवि खराब करने वाली भ्रामक और तथ्यहीन खबरों की पड़ताल कर उनका सच सामने लाता है। इस यूनिट को केंद्र सरकार ने साल 2019 में बनाया था।

क्यों हो रहा विरोध?

पीआईबी के पास पहले कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं था। जिसके बाद साल 2021 में आईटी नियमों में संशोधन किया गया। इसके तहत वो खबर जो सरकार के खिलाफ गलत जानकारी फैला रही है उसे पीआईबी अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पोस्ट करेगी। और उसके बाद भ्रामक जानकारी शेयर करने वाले को उसे हटाना पड़ेगा। यदि उसने ऐसा नहीं किया तो उसके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जा सकता है। इसे सरकार ने बुधवार यानी 20 मार्च को अधिसूचित किया।

वहीं इसके विरोध की बात करें तो कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने नये आईटी नियमों के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि ये नियम असंवैधानिक हैं। साथ ही ये भी कहा था कि कोई खबर फर्जी है यह तय करने की शक्ति पूरी तरह से सरकार के पास होना प्रेस की आजादी के खिलाफ है।

Created On :   22 March 2024 1:36 AM IST

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