देश की सुरक्षा को मिला नया आयाम: डीआरडीओ और नौसेना की बड़ी उपलब्धी, सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल का किया सफल परिक्षण

डीआरडीओ और नौसेना की बड़ी उपलब्धी, सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल का किया सफल परिक्षण
  • डीआरडीओ और नौसेना मिलकर तैयार की नई मिसाइल
  • शुक्रवार को ओडिसा में हुआ दूसरा सफल परिक्षण
  • सतह से हवा में उड़ रहे दुश्मन को मार गिराने में है सक्षम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना लगातार अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए नए प्रयासों में जुटी हुई है। इसी क्रम में बीते दिनों इंडियन नेवी और डीआरडीओ ने साथ मिलकर एक नए मिसाइल को तैयार किया था। इस मिसाइल को सतह से हवा में दुश्मनों को कड़ी चुनौती देने के लिए तैयार किया गया है। शुक्रवार 13 सितंबर को इस वर्टिकल मिसाइल की लगातार दूसरी सफल टेस्टिंग की गई। इसकी पहली टेस्टिंग गुरुवार 12 सितंबर को की गई थी।

ओडिसा के चांदीपुर टेस्टिंग रेंज में इस शॉर्ट रेंज मिसाइल को वर्टीकल लांचर से टेस्ट किया गया जिसमें कम ऊंचाई पर उड़ रहे तेज रफ्तार वाले हवाई लक्ष्य को निशाना बनाया गया। यह हथियार कम दूरी में जमीन से हवा में दुश्मनों के जहाज को नस्तेनाबूत करने में सक्षम है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इस सफल परिक्षण की जानकारी देते हुए बताया कि मिसाइल ने टारगेट को सफलतापूर्वक पता लगाकर उसे मार गिराया।

डीआरडीओ इंडिया ने अपने एक्स अकाउंट पर इस मिसाइल के परिक्षण की तस्वीरें साझा की। पोस्ट में उन्होंने नए वीएलएसआरएसएएम मिसाइल के सफल टेस्टिंग की जानकारी देते हुए लिखा, "डीआरडीओ और भारतीय नौसेना ने 12 और 13 सितंबर 2024 को वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (वीएलएसआरएसएएम) के लगातार दो सफल उड़ान परीक्षण किए। दोनों परीक्षणों में, मिसाइल ने समुद्र से आने वाले हवाई खतरे की नकल करते हुए उच्च गति वाले कम ऊंचाई वाले हवाई लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेद दिया।"

मिसाइल के सफल परिक्षण पर भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया, "डीआरडीओ और भारतीय नौसेना ने ओडिसा तट से दूर चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से वर्टिकल लांचर के जरिए नए वीएलएसआरएसएएम मिसाइल का सफल परीक्षण किया।" मंत्रालय ने आगे कहा, "टेस्टिंग का मकसद वेपन सिस्टम में लगे कई तकनीकों को प्रमानित करना था। इनमें प्रॉक्सिमिटी फ्यूज और सीकर शामिल है।" मंत्रालय के बयान के मुताबिक इस मिसाइल के टेस्टिंग की निगरानी आईटीआर चांदीपुर में तैनात रडार इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलीमेट्री जैसे विभिन्न उपकरणों की मदद से की गई है।

Created On :   13 Sept 2024 6:59 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story